
लगभग 6 सालों बाद आज थिएटर में मूवी देखने का मौका मिला। मुझें थिएटर जाकर मूवी देखने से बेहतर अपने फोन या लैपटॉप पर सस्पेंस सीन के बीच ब्रेक लेते हुए मूवी देखना पसंद है।
मूवी का नाम है “धुरंधर”। डायरेक्टर आदित्य धर ने अक्षय खन्ना के किरदार को बिल्कुल अलग अंदाज में पेश करने की कोशिश की है। अक्षय खन्ना विलेन होते हुए भी हीरो वाली भूमिका में नजर आते हैं। इसके पीछे शायद उनका फिल्मी करियर दोबारा जिंदा करने की कोशिश हो, जो डायरेक्टर और खुद अक्षय खन्ना चाहते हों, या फिर कहानी ऐसी लिखी गई हो जिसके लिए सिर्फ अक्षय खन्ना ही फिट बैठते हों।
अब आते हैं – एक मीडिया स्टूडेंट, जर्नलिस्ट और साधारण दर्शक के नजरिए से मूवी कैसी है। फिल्म में रणवीर सिंह के कॉस्ट्यूम और लुक पर बहुत अच्छे से ध्यान दिया गया है। फिल्म शुरू होते ही बैकग्राउंड में नेचुरल-रियल थीम से जोड़ने के लिए कोरियोग्राफर ने भी अच्छा काम किया है।
फिल्म में कैमरा एंगल्स का इस्तेमाल बेहद बारीकी और समझदारी से किया गया है। और सबसे अच्छी बात यह है कि रणवीर सिंह के कैरेक्टर को एकदम परफेक्ट लुक के साथ दिखाया गया है। बेवजह एक्शन नहीं डाला गया है, जैसे कई फिल्मों में एक्टर को बाहुबली, मसीहा या कुछ और दिखाने की कोशिश की जाती है। यह फिल्म को वास्तविक कहानियों से जोड़कर रखता है।
संजय दत्त ने फिल्म में एसपी स्लम की भूमिका निभाई है। दत्त का यह किरदार मुझे उनकी 2013 में आई फिल्म पुलिसगिरी की याद दिलाता है।
अर्जुन रामपाल का सीन फिल्म में कुछ ही समय का है, लेकिन मेजर इक़बाल के रोल को उन्होंने दमदार तरीके से निभाया है।
फिल्म में सबसे ज्यादा तारीफ किसी की होनी चाहिए तो वह हैं सारा अर्जुन, जिन्होंने मूवी में रणवीर सिंह की पत्नी का किरदार निभाया है। क्योंकि महज 20 साल की उम्र में इतनी बारीकी से किरदार निभाना और अपने से दोगुनी उम्र से भी ज्यादा बड़े को-एक्टर के साथ अच्छी ट्यूनिंग बनाना वाकई कमाल है।
फिल्म में अलग-अलग कैरेक्टर के लिए बड़े एक्टर्स को कास्ट करना डायरेक्टर आदित्य धर का यह ट्रायल सफल होता दिख रहा है। क्योंकि कई फिल्मों में ऐसा देखा गया है कि जब एक से ज्यादा बड़े एक्टर होते हैं तो ईगो क्लैश के कारण फिल्म के फ्लॉप होने का डर रहता है, इसी वजह से डायरेक्टर अक्सर ऐसा रिस्क नहीं लेते हैं। वहीं डायरेक्टर आदित्य धर ने रिस्क लिया और आज फिल्म का कलेक्शन 200 करोड़ के पार जा चुका है।
मूवी में 2-3 गाने हैं। जब अक्षय खन्ना की एंट्री बलूच एरिया में होती है, तब अरेबिक म्यूजिक बज रहा है – उसे और बेहतर किया जा सकता था। मूवी के आखिर में जो आइटम सॉन्ग मधुबंती बागची और जैस्मिन संदलस ने गाया है, वो पूरी तरह से ठीक-ठाक सीन को बेस्ट बना देता है। 3 घंटे 30 मिनट की मूवी में आखिरी 30 मिनट सिर्फ थ्रिलर-एक्शन दिखाने के चक्कर में अनावश्यक रूप से लंबा खींच दिया गया है। और वेब सीरीज की तरह आखिरी सीन में सस्पेंस रखकर मूवी का पार्ट-2 19 मार्च को रिलीज करने की घोषणा कर दी गई है।
मुझे पर्सनली एक चीज जो बहुत बुरी लगी – जब भी कोई एक्शन सीन आता था जिसमें कोई एक्टर या विलेन किसी का खून कर रहा हो या बेरहमी से टॉर्चर कर रहा हो और खून बह रहा हो, तो लोग उसे देखकर तालियाँ बजाते और सीटियाँ मारकर सेलिब्रेट करते। इश्क-मोहब्बत वाले सीन में चीखना-चिल्लाना ठीक है, लेकिन हिंसा और खून-खराबा देखकर उसे ग्लोरिफाई करना कितना सही है?
6 खाड़ी देशों(बहरीन, कुवैत, ओमान, कतर, सऊदी अरब, UAE) ने पाकिस्तान के खिलाफ प्रोपेगैंडा बताते हुए फिल्म को बैन कर दिया है