दिल्ली की जंग

दिल्ली की सियासी जंग में विधानसभा चुनाव की तैयारियाँ अपने सबाब पर हैं। क्यास लगाए जा रहे हैं जनवरी के अंत में चुनावी तारीखों का ऐलान हो जाएगा , लिहाज़ा बीजेपी , आम आदमी और कांग्रेस पार्टी दिल्ली फतह करने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है, लेकिन इस चुनाव में खास बात है कि पीएम मोदी और अरविंद केजरीवाल आमने – सामने आ गए हैं। भाजपा की परिवर्तन यात्रा की आगवानी कर रहे पीएम मोदी जहां – जहां दिल्ली की जनसभाओं को संबोधित कर रहे हैं , वहां – वहां केजरीवाल पर पीएम मोदी भ्रष्टाचार सहित तमाम मुद्दों के ज़रिये के  हमला बोल रहे हैं।

मतलब साफ है कि पीएम मोदी दिल्ली चुनाव में केजरीवाल को सबसे विरोधी सियासी चेहरे के तौर पर मान रहे हैं। बार – बार हरबार केजरीवाल पर हमला इस बात के संकेत देते हैं कि दिल्ली चुनाव में केजरीवाल की ज़मीनी पकड़ बेहद मज़बूत हैं। मसलन ,  रोहिणी स्थित जापानी पार्क में भाजपा परिवर्तन यात्रा में केजरीवाल पर जमकर निशाना साधा ।  इसकी अगुवाई खुद पीएम मोदी ही कर रहे हैं। मोदी ने कहा कि जब यह ‘आपदा ‘ सरकार जाएगी , तभी दिल्ली में सुशासन शुरू होगा। मतलब दिल्ली चुनाव के दरपेश भाजपा के निशाने पर केजरीवाल ही हैं। आपदा का कच्चा चिट्ठा खोला तबसे वे तिलमिलाए हुए हैं। केजरीवाल भी जान चुके हैं इस बार का मुकाबला पहले चुनाव से एकदम अलग हैं। इसलिए केजरीवाल भी पीएम मोदी के हमलों का जवाब भी दे रहे हैं। केजरीवाल कह रहे हैं कि हम आपदा नहीं आशीर्वाद हैं। दिल्ली चुनाव को लेकर आप और भाजपा में जुबानी जंग तेज हो गई है।

इससे पहले बीजेपी 70 सीटों वाली विधानसभा में सिर्फ 8 सीटों पर सिमट कर आप के सामने नतमस्तक हो गई थी और आप 62 सीटे जीत कर बीजेपी को आईना दिखाया था। यूपी और बिहार की सियासत की तर्ज से एक दम से दिल्ली  चुनाव अलग थलग होते हैं। ऐसे में यहां जातीय ध्रुवीकरण और धार्मिक तुष्टीकरण की राजनीति एकदम नहीं चलेगी , जोकि भाजपा करते आई है। दिल्ली का मिजाज इन दिनों राज्यों से एकदम जुदा हैं। हालांकि भाजपा पीएम मोदी के चेहरे को आगे रखकर पिछले कई सालों से चुनाव लड़ रही है। हाल ही में हुए विधानसभाओं के चुनाव में भाजपा को शानदार सफलता मिली है लेकिन दो राज्यों में भाजपा सरकार बनाने में विफल भी रही जबकि दो राज्यों में सरकार बनाने में सफल भी रही। हालांकि दिल्ली चुनाव इन तमाम राज्यों से अलग हैं।

आखिर दिल्ली विधानसभा में भाजपा सरकार बनाने में विफल लगातार क्यों हो रही ? सियासी पंडितों की माने तो पिछले 10 सालों में केजरीवाल की सरकार ने जो काम किए हैं , वो दिल्ली का कायाकल्प कर दिया है। फिर सवाल खड़ा होता है कि लोकसभा चुनाव में आप क्यों दिल्ली में हार जाती है ? ऐसा ये भी कहा जाता है कि दिल्ली की जनता पीएम मोदी को केंद्रीय स्तर पर ज्यादा पसंद करती है पर दिल्ली स्तर पर नहीं ! ज़ाहिर है कि केजरीवाल दिल्ली चुनाव के ज़रिये राष्ट्रीय स्तर के नेता बनने की कवायद में हैं।

~ मो. सोफयान

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