
पाकिस्तानी एयरफोर्स के द्वारा पूर्वी अफगानिस्तान में बमबारी किए जाने के बाद अब तालिबान ने जवाबी हमला किया है। हमले में 19 पाकिस्तानी जवान और तीन अफगानी नागरिकों की मौत की खबर है। समाचार एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, तालीबानी लड़ाकों ने पाकिस्तान के खोस्त प्रांत में कई सैन्य चौकियों को आग लगा दी, वहीं पत्तिका प्रांत की दो चौकियों पर कब्जा कर लिया है। 25 दिसंबर 2024 को अफगानिस्तान के पूर्वी पत्तिका प्रांत में पाकिस्तान ने एयरस्ट्राइक की, जिसमें 48 लोग मारे गए। मरने वालों में 27 महिलाएं और बच्चे शामिल थे, वहीं 21 तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के लड़ाके भी थे। पाकिस्तान एयरफोर्स इससे पहले भी अफगानिस्तान के अलग-अलग इलाकों में एयरस्ट्राइक करती रही है, लेकिन इस बार यह स्ट्राइक पहले से कहीं बड़ी और भीषण थी, जिसने अफगानिस्तान को भारी नुकसान पहुंचाया। इसके बाद तालिबान के रक्षा मंत्रालय ने पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने की कसम खाई थी।
पाकिस्तान ने क्यों किया अटैक?
पाकिस्तान ने आतंकी विरोधी कार्रवाई का तर्क देते हुए अफगानिस्तान में शरण लिए तहरीक-ए-तालिबान के ठिकानों को निशाना बनाने की बात कही है। पाकिस्तान में आए दिन बम विस्फोट, सुरक्षा बलों और चीनी नागरिकों की टारगेट किलिंग जैसी घटनाएं सामने आती रहती हैं। पाकिस्तान ऐसी घटनाओं को लेकर हमेशा तहरीक-ए-तालिबान और बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी को जिम्मेदार ठहराता रहा है।
दरअसल, तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) पाकिस्तानी सरकार को हटाकर शरिया कानून लागू करना चाहती है। वहीं, बलूच लिबरेशन आर्मी चीन के रोड एंड बेल्ट प्रोजेक्ट का विरोध करती रही है। इसे लेकर बलूच विद्रोहियों ने कई बार चीनी इंजीनियरों को निशाना बनाया है। चीन के दबाव में आकर पाकिस्तान भले ही दिखावे की कार्रवाई करता रहा है, लेकिन जमीनी स्तर पर इसका ज्यादा असर देखने को नहीं मिलता है। क्योंकि अगर पाकिस्तान सख्ती अपनाता है, तो देश में गृह युद्ध जैसी संभावनाएं पैदा हो सकती हैं।
चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा परियोजना (CPEC) शुरू होने से लेकर अब तक 21 चीनी श्रमिकों की जान जा चुकी है। इंस्टीट्यूट फॉर कॉन्फ्लिक्ट एंड सिक्योरिटी स्टडीज के प्रबंध निदेशक अब्दुल्ला खान के अनुसार, 2022 से अब तक 900 से अधिक सुरक्षा बल आतंकवादी हमलों में मारे गए हैं।
अफगान तालिबान तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) का समर्थन इसलिए करता है क्योंकि अफगानिस्तान में अमेरिकी शासन के विरुद्ध TTP ने अफगान तालिबान का खुलकर समर्थन किया था। दूसरा, अगर अफगान तालिबान TTP का समर्थन नहीं करता है, तो TTP इस्लामिक स्टेट – खोरेसान (आतंकी समूह) से मिल सकता है, जो काबुल की सत्ता (अफगान तालिबान) को उखाड़ फेंक सकता है।
भारत पर क्या असर होंगे?
अगर पाकिस्तान और अफगानिस्तान के रिश्ते खराब होते हैं, तो इससे भारत को अप्रत्यक्ष रूप से फायदा हो सकता है। तालिबानी सत्ता अफगानिस्तान-पाकिस्तान के बीच बनी अंतर्राष्ट्रीय सीमा रेखा (डूरंड लाइन) को नहीं मानती है और बार-बार इन इलाकों पर कब्जा करती रहती है। ऐसे में, अगर परिस्थितियां खराब होती हैं, तो भारत अपनी खोई हुई जमीन (POK) पर दोबारा कब्जा कर सकता है।
दूसरी ओर, चीन के रोड एंड बेल्ट प्रोजेक्ट और अन्य कई निवेश भी खतरे में पड़ सकते हैं। चीन ने पाकिस्तान से कई बार अपने नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की बात कही है। अक्सर देखा गया है कि जब चीन अपने नागरिकों की सुरक्षा का मुद्दा उठाता है, तो पाकिस्तान आतंकवाद विरोधी कार्रवाई की औपचारिकता पूरी करने लगता है।