
बेंजामिन नेतन्याहू अपने ग्रेटर इजरायल के प्लान को तामिल करने की दिशा में आगे बढ़ते हुए दिखाई दे रहे हैं। सीरिया में सत्ता परिवर्तन के महज 48 घंटे भी नहीं हुए कि इजरायली सैनिक गोलन हाइट्स के पास बने सीरिया–इजराइल अंतरराष्ट्रीय बफर जोन के 20 किलोमीटर अंदर प्रवेश कर गए। इसके साथ, पिछले 24 घंटे में इजरायली एयरफोर्स ने सीरिया के 500 जगहों पर एयर स्ट्राइक की। इजरायल के निशाने पर सीरियाई सेना के नेवल बेस, हथियारों के गोदाम, हवाई अड्डे, नौसैनिक अड्डे सहित कई रक्षा उपकरण ठिकाने शामिल थे। सीरिया में तख्तापलट के बाद, इजरायली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने अपने वीडियो संदेश में कहा था कि गोलान हाइट्स बफर जोन को लेकर उनका एग्रीमेंट सीरियाई सरकार के साथ था, जो अब अस्तित्व में नहीं है।
27 सितंबर 2024 को नेतन्याहू ने संयुक्त राष्ट्र को संबोधित करते हुए दो मानचित्र दिखाए थे, जिनमें ईरान, सीरिया, इराक को “The Curse” काले रंग में दर्शाया गया था। वहीं भारत, सूडान, सऊदी अरब को “The Blessing” हरे रंग में दिखाया गया था। इन मानचित्रों में ग्रेटर इजरायल का कॉन्सेप्ट साफ देखा जा सकता है। ग़ज़ा के पश्चिमी तट, सीरिया के गोलान हाइट्स और फिलीस्तीन के क्षेत्र को इजरायल का हिस्सा बताया गया है।
सीरिया में हमले के पीछे, इजरायल ने तर्क दिया कि वो 7 अक्टूबर 2023 जैसी घटना दोबारा नहीं चाहते और दूसरा यह कि रासायनिक हथियार अगर चरमपंथी संगठनों के हाथ लग गए, तो यह इजरायल के लिए खतरा हो सकता है। रिपोर्ट के मुताबिक, इजरायल ने सीरिया के महत्वपूर्ण हथियार गोदाम, टैंक और नौसैनिक जहाज को पूरी तरह नष्ट कर दिए है। रासायनिक हथियारों का चरमपंथी गुटों के पास जाने से रोकने के लिए संयुक्त राष्ट्र के रासायनिक हथियार निगरानीकर्ता ने सीरियाई अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि उनके पास जो भी ऐसे हथियार हैं, उन्हें सुरक्षित रखें। लेकिन डर इस बात का है कि वर्तमान समय में दमिश्क पर हयात तहरीर अल शाम का कब्जा है, जिसका कनेक्शन आईएसआई से रहा है। यदि इस संगठन के हाथ ऐसे हथियार लग जाते हैं, तो यह खतरे की घंटी होगी।
क्या है ग्रेटर इजराइल का कॉन्सेप्ट?

ग्रेटर इजरायल का मतलब उस बड़े इलाके से है जहां प्राचीन काल में यहूदी राज्य हुआ करता था। 19वीं सदी में यहूदीवाद की स्थापना करने वाले थिओडोर हर्ज़ल ने इसकी अवधारणा दी थी। इसमें मिस्र की नील नदी से यूफ्रेट्स और मदीना से लेकर लेबनान तक का इलाका शामिल है। यानी इस क्षेत्र में मिस्र, लेबनान, सीरिया, इराक, सऊदी अरब, जॉर्डन और फिलिस्तीन का पूरा इलाका शामिल है। कई जानकारों का मानना है कि अमेरिका ग्रेटर इजरायल की अवधारणा को इसलिए समर्थन करता है क्योंकि इससे अमेरिका को मध्य पूर्व में अपने वर्चस्व को बढ़ाने में मदद मिलेगी।
कुछ महीने पहले ही अमेरिका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा था कि मध्य पूर्व देशों की तुलना में इजरायल बहुत छोटा है। क्या इसे बड़ा करने का कोई तरीका है? ट्रंप बयान
सीरिया के टूटने की संभावना ?

सीरिया में पिछले एक दशक से ज्यादा समय से चल रहे गृह युद्ध के कारण अलग-अलग क्षेत्रों में कई विद्रोही गुटों का कब्जा हो चुका है। राष्ट्रपति बसर अल असद के देश छोड़ने के बाद होम्स, अलेप्पो और अब राजधानी दमिश्क पर भी विद्रोहियों ने कब्जा कर लिया है। ऐसे में पूरे सीरिया में 6 विद्रोही गुट हैं।
लेकिन मुख्यतः ज्यादातर इलाकों में 4 विद्रोही गुटों का कब्जा है।
अमेरिका समर्थित कुर्द (सीरियन डेमोक्रेटिक फोर्सेज), जिसका कब्जा सीरिया के पूर्वी इलाकों में है। कुर्द लोग लंबे समय से अपना अलग देश बनाने की मांग करते आ रहे हैं। कुर्द समूह सीरिया, ईरान, और आर्मेनिया में रहते हैं। इनकी संख्या ढाई से साढ़े तीन करोड़ के बीच है। यह मध्य पूर्व में चौथा सबसे बड़ा जातीय समूह है।
दूसरा ग्रुप हयात तहरीर अल शाम, जिसका कब्जा मध्य, उत्तर-पूर्वी सीरिया और अब पश्चिमी इलाकों दमिश्क और डेरा में भी हो गया है। यह ग्रुप अलकायदा और आईएसआई की विचारधाराओं से प्रेरित है। अमेरिका ने इसके लीडर मोहम्द अल जुलानी पर 10 मिलियन का इनाम रखा था। लेकिन बसर अल असद की सरकार गिराने में अमेरिका का विद्रोही गुटों को समर्थन था।
तीसरा, सीरिया नेशनल आर्मी, जो 2011 में सीरिया की आर्मी से टूटकर बना एक विद्रोही गुट है। इन दिनों इस गुट का कब्जा उत्तर-पश्चिमी इलाकों में है।
चौथा, इस्लामी चरमपंथी अलकायदा ग्रुप, जिसका कब्जा मध्य सीरिया के कुछ चुनिंदा इलाकों में ही सीमित है।
सीरिया के तख्तापलट में तुर्की, अमेरिका और इजरायल की बड़ी भूमिका मानी जा रही है। इजरायल और अमेरिका जहां कुर्द डेमोक्रेटिक फोर्सेज का समर्थन कर रहे थे, वहीं तुर्की को तहरीर अल शाम का पूरा समर्थन हासिल था। तुर्की ने 2016 में उत्तर सीरिया के कुछ इलाकों पर कब्जा भी कर लिया था और अब संभावना है कि तुर्की तहरीर अल शाम की मदद से सीरिया की ज्यादातर जमीन पर कब्जा कर सकता है।
अमेरिकी सेना सीरिया के उत्तर-पूर्व कुर्द के नियंत्रण वाले तेल कुओं वाले क्षेत्रों और दक्षिण-पूर्व के गैरीसन में तैनात है। आज के समय में सीरिया में 900 अमेरिकी सैनिकों की मौजूदगी है। ट्रंप ने अपने पहले कार्यकाल में ज्यादातर सैनिकों को वापस बुला लिया था।
इजरायल कुर्द लोगों द्वारा मांग की जा रही अलग देश कुर्दिस्तान का हमेशा से समर्थन करता रहा है। ऐसे में इजरायल कुर्दों के अलग देश बनाने में मदद या संभवतः कुर्द नियंत्रित क्षेत्रों को इजरायल का भाग बनाने की कोशिश कर सकता है। लेख लिखते वक्त तक आई रिपोर्ट के अनुसार, इजरायल ने सीरिया के गोलन हाइट्स के 10 किलोमीटर तक की जमीन पर कब्जा कर लिया है। रिपोर्ट के मुताबिक, इजरायल सीरिया की राजधानी दमिश्क से महज 25 किलोमीटर की दूरी पर है। इजरायल जब चाहे, उसे कब्जा कर सकता है।