ट्रंप के सत्ता में आने से पहले इजराइल – हिजबुल्लाह के बीच हुआ युद्धविराम ?

बीते दिनों 27 नवंबर 2024 को इजरायल और लेबनान के हथियारबंद समूह हिजबुल्लाह के बीच युद्धविराम का ऐलान हो गया। पिछले साल 7 अक्टूबर 2023 को हमास द्वारा इजरायल पर हमले के बाद से चल रहे हिजबुल्लाह और इजरायल के बीच जारी खूनी संघर्ष अब थम चुका है। इस खूनी झड़प में अब तक 4000 हिजबुल्लाह लड़ाकों और 3000 आम नागरिकों की मौत हो चुकी है। वहीं, दक्षिणी लेबनान में युद्ध से प्रभावित 20 लाख लोग सीरिया और अन्य देशों में विस्थापित हो चुके हैं। हिजबुल्लाह प्रमुख हसन नसरुल्लाह की मौत के बाद युद्ध और भीषण रूप ले चुका था, जो अब अमेरिका और फ्रांस के सहयोग के कारण खत्म होता दिख रहा है।

युद्धविराम समझौते में क्या बातें कही गईं?

अमेरिका और फ्रांस की मध्यस्थता से इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच युद्धविराम पर सहमति बन गई है। युद्धविराम की शर्तों के मुताबिक, 60 दिनों के अंदर दक्षिणी लेबनान से हिजबुल्लाह अपने लड़ाकों को हटा लेगा और ब्लू लाइन के आसपास कोई नया इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं बनाएगा। ब्लू लाइन, लेबनान और इजरायल के बीच एक अनाधिकारिक सरहद है। इसके साथ, इजरायल को भी अपनी सैनिक टुकड़ियों को दक्षिणी लेबनान से वापस बुलाना होगा। लेबनानी सैनिकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि हिजबुल्लाह इजरायल से सटे बॉर्डर इलाकों में हथियारों की मौजूदगी और नए ठिकाने न बनाए।

2006 में भी ऐसा ही एक समझौता इजरायल–हिजबुल्लाह के बीच हुआ था, जिसके बाद युद्ध समाप्त हुआ था। समझौते के तहत ब्लू लाइन के समीप यूएन के शांति सैनिक और लेबनानी सैनिकों की मौजूदगी के अलावा किसी अन्य हथियारबंद सैनिकों की उपस्थिति निषिद्ध थी।

इजरायल–हिजबुल्लाह के बीच युद्धविराम के प्रमुख कारण:

अर्थव्यवस्था का लड़खड़ाना: वर्तमान में इजरायल छह मोर्चों पर युद्ध लड़ रहा है, जिनमें ईरान, सीरिया, गाज़ा में हमास, लेबनान में हिजबुल्लाह, यमन में हूती विद्रोही, इराक में शिया फोर्स और साइबर युद्ध शामिल हैं।
पिछले एक साल से चल रहे इस युद्ध में इजरायल अब तक 60 अरब डॉलर से अधिक खर्च कर चुका है। युद्ध के बढ़ते खर्च के कारण इजरायल की जीडीपी में 1.50%–2.00% की गिरावट देखी गई। एक तरफ गिरती अर्थव्यवस्था और दूसरी तरफ बढ़ती महंगाई के कारण लोगों में नाराजगी थी।

हथियार और लॉजिस्टिक की कमी: इजरायल के पास भले ही दुनिया की शीर्ष तकनीक वाले हथियार और मिसाइलें हैं, लेकिन लंबे समय से चल रहे युद्ध के कारण वह हथियारों के कलपुर्जे और स्पेयर पार्ट्स की मैन्युफैक्चरिंग नहीं कर पा रहा है। हाल में सबसे बड़ी घटना यह हुई कि जब अमेरिका और फ्रांस जैसे देशों ने इजरायल को लंबी दूरी की मिसाइलें और घातक हथियारों की सप्लाई बंद कर दी।
फ्रांस ने यह कहते हुए हथियार देने से मना कर दिया कि इजरायल गाजा में इन घातक हथियारों से निर्दोष लोगों की हत्या कर रहा है। इस पर बेंजामिन नेतन्याहू ने फ्रांस के राष्ट्रपति मैक्रों को शर्म करने की बात कही थी।

हिजबुल्लाह का कमजोर होना: हिजबुल्लाह प्रमुख हसन नसरुल्लाह और कई वरिष्ठ कमांडरों के मारे जाने के बाद हिजबुल्लाह कमजोर हो चुका था। सीक्रेट पेजर अटैक के बाद आपसी कम्युनिकेशन बंद हो जाने से हिजबुल्लाह के लड़ाकों पर मनोवैज्ञानिक दबाव बढ़ गया था। इसके अलावा, दुश्मन के खिलाफ रणनीति बनाने में भी दिक्कत हो रही थी। हथियार और रसद की सप्लाई में कमी के कारण हिजबुल्लाह को सीजफायर समझौते मानने पड़े।

ईरान को ट्रंप का डर: हिजबुल्लाह का सबसे बड़ा समर्थक ईरान रहा है। आर्थिक सहायता के साथ भारी मात्रा में हथियारों की सप्लाई भी ईरान हिजबुल्लाह को करता रहा है। अमेरिका में कुछ ही दिनों में ट्रंप सत्ता में आ सकते हैं, और ईरान इस बात से भली-भांति परिचित है कि ट्रंप उसके सबसे बड़े विरोधी रहे हैं।
पिछले कार्यकाल में ट्रंप ने ईरान पर सबसे अधिक प्रतिबंध लगाए थे। आने वाले दिनों में अगर ऐसा फिर से होता है, तो ईरान की अर्थव्यवस्था बर्बाद हो सकती है। इसलिए ईरान चाहता है कि ट्रंप के सत्ता में आने से पहले युद्ध समाप्त हो जाए।

अंतरराष्ट्रीय कोर्ट का फैसला: अंतरराष्ट्रीय कोर्ट ने बेंजामिन नेतन्याहू को गाजा में हुए नरसंहार के लिए दोषी ठहराते हुए अरेस्ट वारंट जारी कर दिया। भले ही अमेरिका इस संधि का सदस्य न हो, लेकिन दुनिया के 123 देश इसके सदस्य हैं और इस संधि की शर्तों को मानने के लिए बाध्य हैं।
ब्रिटेन, फ्रांस और कनाडा जैसे देश इस ग्रुप के सदस्य हैं। अगर नेतन्याहू इन देशों में जाते हैं, तो उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है।
इस घटना के बाद इजरायल पर नैतिक और अंतरराष्ट्रीय कूटनीतिक दबाव बढ़ा। साथ ही, जो बाइडन भी ट्रंप के सत्ता में आने से पहले मिडिल ईस्ट में शांति कायम कर क्रेडिट लेना चाहते हैं, क्योंकि ट्रंप ने चुनाव के दौरान और उससे पहले कई बार कहा था कि वह राष्ट्रपति बनने के 24 घंटे के अंदर इसे खत्म कर देंगे।

युद्ध खत्म होने से विश्व और भारत को क्या फायदे होंगे?

इजरायल–हिजबुल्लाह के बीच युद्ध समाप्त होने से पश्चिम एशिया में शांति आएगी। इसके साथ, ईरान भी इजरायल के साथ झड़प करने से बचेगा, जिससे वैश्विक तेल बाजार में स्थिरता देखने को मिलेगी।
कुछ दिनों पहले जब इजरायल ने ईरान पर हमला किया था, उसके बाद ईरान ने इजरायल और अमेरिकी सहयोगी देशों को गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी दी थी।
अमेरिकी मीडिया में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान सऊदी अरब और यूएई जैसे देशों के तेल भंडारों को नष्ट करने का प्लान बना रहा था। इससे वैश्विक स्तर पर क्रूड ऑयल की कीमतों में भारी बढ़ोतरी हो सकती थी, जिससे अमेरिका, भारत और पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था प्रभावित हो सकती थी।

हिजबुल्लाह और इजरायल के बीच लंबे समय तक चलने वाले युद्ध से ईरान और इजरायल की झड़प की संभावना बढ़ रही थी। इससे भारत को नुकसान हो सकता था, क्योंकि भारत और ईरान के रिश्ते अच्छे हैं। साथ ही, यूरोपीय ट्रेड रूट के लिए ईरान भारत का एक महत्वपूर्ण साझेदार है। हाल ही में, भारत और ईरान के बीच चाबहार पोर्ट के लिए अगले 10 साल का लीज समझौता हुआ है। भारत के आर्थिक और कूटनीतिक हितों के लिहाज से यह पोर्ट बहुत महत्वपूर्ण है।

Leave a comment