इजराइल के ताबड़तोड़ हमले में हिजबुल्लाह चीफ नसरल्लाह की मौत

इजराइल ने लेबनान पर अब तक का सबसे बड़ा हमला किया है। इस हमले में हिज़्बुल्लाह के प्रमुख हसन नसरल्लाह के मारे जाने की खबर है, जिसकी आधिकारिक पुष्टि हिज़्बुल्लाह ने भी कर दी है। नसरल्लाह की मौत के बाद, ईरान के सर्वोच्च नेता खामेनेई ने ईरानी सुरक्षा सलाहकारों की आपातकालीन बैठक बुलाई है। आपको बता दें कि 31 जुलाई 2024 को इजराइल ने ईरान में मौजूद हमास के प्रमुख को एक हवाई हमले में मार गिराया था। तभी से ईरान इजराइल को अंजाम भुगतने की धमकी दे रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, ईरान इजराइल पर बड़े हमले की तैयारी में जुटा हुआ है।

इजराइल द्वारा लेबनान पर पिछले 10 दिनों में यह सबसे घातक हमला है। इस हमले की तीव्रता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इजराइल ने हिज़्बुल्लाह के मुख्यालय पर जिस विस्फोटक का उपयोग किया, उसका वजन लगभग 80 टन था।

इजराइल और लेबनान के बीच अब तक की घटनाएं

17 सितंबर को, लेबनान में इजराइल द्वारा खुफिया तरीके से पेजर और वॉकी-टॉकी में विस्फोट किए जाने के बाद, हिज़्बुल्लाह ने उत्तरी इजराइल पर सैकड़ों रॉकेट दागे। इसके जवाब में, इजराइल ने हिज़्बुल्लाह पर बमों की बारिश कर दी। 23 सितंबर 2024 का दिन लेबनान के लिए कठिन रहा, क्योंकि इजराइल ने दक्षिणी लेबनान में 1,000 से अधिक रॉकेट दागे। इस हमले में 500 लोग मारे गए थे, और अब तक मृतकों की संख्या 800 से पार हो चुकी है। इसके बावजूद हमले लगातार जारी हैं। 27 सितंबर 2024 को, संयुक्त राष्ट्र में अपने भाषण के तुरंत बाद, बेंजामिन नेतन्याहू ने टेलीफोन के माध्यम से इजराइली डिफेंस फोर्स (IDF) को हिज़्बुल्लाह के मुख्यालय पर हमला करने का आदेश दिया।

न्यूयॉर्क टाइम्स में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, इजराइल को 7 दिन पहले ही नसरल्लाह के ठिकाने का पता लग चुका था। इसके बाद, इजराइल ने पूरी तैयारी के साथ हमले की रणनीति बनाई। जैसे ही इजराइल को यह जानकारी मिली कि नसरल्लाह अपनी जगह बदलने वाला है, IDF ने हिज़्बुल्लाह के मुख्यालय पर जोरदार धमाका कर 6 इमारतों को नष्ट कर दिया। इस हमले में हिज़्बुल्लाह प्रमुख नसरल्लाह और शीर्ष कमांडर अली कराकी समेत कई हिज़्बुल्लाह लड़ाके मारे गए।

मिडिल ईस्ट और इजराइल के बीच युद्ध का खतरा ?

जंग के आसार को देखते हुए, अमेरिका, फ्रांस और सहयोगी देशों ने इजराइल को 21 दिनों तक सीजफायर करने का सुझाव दिया है, लेकिन इजराइल ने इसे साफ तौर पर ठुकराते हुए कहा कि वह तब तक हमला करता रहेगा जब तक उसके सभी उद्देश्य पूरे नहीं हो जाते। इजराइल ने लेबनान में ज़मीनी ऑपरेशन की भी तैयारी कर रखी है। दक्षिणी लेबनान की सीमा पर इजराइली बख्तरबंद टैंकों का जमावड़ा देखा जा रहा है। अगर इजराइल लेबनान में जमीनी आक्रमण करता है, तो यह इजराइल के लिए दोहरी चुनौती हो सकती है, क्योंकि इजराइल पिछले एक साल से फिलिस्तीन में हमास से लड़ रहा है, लेकिन अब तक सैकड़ों सैनिकों की जान जाने के बावजूद इजराइल को हमास के खिलाफ पूरी तरह से सफलता नहीं मिल पाई है।

हमास की तुलना में हिज़्बुल्लाह की सैन्य शक्ति कहीं अधिक है। जहां हमास के पास 50,000 सैनिकों की टुकड़ी थी, जो अब 20,000 से 25,000 तक सिमट कर रह गई है, वहीं हिज़्बुल्लाह के पास 1.50 लाख सैनिकों की सेना है। हिज़्बुल्लाह के पास आधुनिक हथियार और ड्रोन जैसी तकनीक भी उपलब्ध है। उनके पास 1.50 लाख रॉकेट, 300 बैलिस्टिक मिसाइलें और रूसी निर्मित एंटी-टैंक भी मौजूद हैं, जो हमास के पास नहीं थे। हाल ही में, हूती विद्रोहियों ने इजराइल पर हाइपरसोनिक मिसाइल से हमला किया, जो यह दर्शाता है कि इजराइल के दुश्मनों को ईरान और इराक जैसे देशों से समर्थन मिल रहा है। हाल ही में एक रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया था कि रूस ने गुप्त तरीके से ईरान को परमाणु हथियारों की आपूर्ति की है। अगर यह दावा सही साबित होता है, तो यह मध्य पूर्व सहित यूरोप और एशियाई देशों के लिए खतरे की घंटी हो सकता है।

इजराइल-हिज़्बुल्लाह युद्ध का इतिहास

12 जुलाई 2006 को, हिज़्बुल्लाह ने क्रॉस-बॉर्डर रेड के दौरान इजराइली सैनिकों पर हमला किया, जिसमें तीन सैनिक मारे गए और दो को बंधक बना लिया गया। हिज़्बुल्लाह ने इन सैनिकों की रिहाई के बदले फिलिस्तीनी कैदियों को छोड़ने की मांग रखी, जिसे तत्कालीन इजराइली प्रधानमंत्री अहुद ओलमर्ट ने “युद्ध का कार्य” करार दिया। 34 दिनों तक चले इस युद्ध में 1,200 लेबनानी मारे गए और 1,600 से अधिक घायल हुए।

युद्ध से मानवीय संकट बढ़ने का खतरा

संयुक्त राष्ट्र प्रमुख एंटोनियो गुटेरेस ने सुरक्षा परिषद को संबोधित करते हुए कहा कि लेबनान में “नर्क टूट रहा है” और दोनों पक्षों से पीछे हटने की अपील की। उन्होंने मानवीय संकट को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की।

रिपोर्ट के मुताबिक, इजराइल-लेबनान युद्ध में अब तक 800 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं, जिनमें 250-300 आम नागरिक भी शामिल हैं। 2 लाख लोग विस्थापित हो चुके हैं, और आश्चर्य की बात यह है कि 30,000 लोग सीरिया में शरण लेने को मजबूर हो गए हैं। ये लोग पहले सीरिया के गृह युद्ध के समय लेबनान में शरण लिए हुए थे और अब लेबनान में खतरे को देखते हुए वापस सीरिया जाना उचित समझ रहे हैं। 27 सितंबर को इजराइल ने दक्षिणी लेबनान के निवासियों को रेडियो के माध्यम से अपने घर खाली करने की चेतावनी दी थी, जिसके बाद से बड़ी संख्या में लेबनानी लोग पलायन कर रहे हैं।

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