केजरीवाल के इस्तीफे से बदलेगी दिल्ली की राजनीति हवा?

अरविंद केजरीवाल की रिहाई के बाद अब दिल्ली की राजनीति में नया मोड़ देखने को मिल रहा है‌। चुनाव से ठीक 5 महीनें पहले केजरीवाल ने बड़ा दावा खेलते हुए मुख्यमंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया है। वहीं केजरीवाल ने विधायक दल की बैठक में अपने विश्वस्नीय आतिशी को मुख्यमंत्री बनाए जाने का प्रस्ताव रखा जिसे सर्वसम्मति से स्वीकार कर लिया गया। आतिशी मार्लेना दिल्ली की तीसरी महिला मुख्यमंत्री होंगी। इससे पहले 1998 में सुषमा स्वराज, 1998 से 2013 तक कांग्रेस की शीला दीक्षित ने दिल्ली में मुख्यमंत्री के तौर पर कार्यरत थी। और खास बात यह है कि आतिशी ने पूरे देश में सबसे कम उम्र (43 वर्ष) में मुख्यमंत्री बनने का यह रिकॉर्ड भी अपने नाम कर लिया है।

आतिशी ही मुख्यमंत्री क्यों?

आतिशी केजरीवाल के खास विश्वसनीय सहयोगी और मंत्रियों में से आती है जिन्होंने केजरीवाल के जेल जाने के बाद भी उनके साथ खड़ी रही और दिल्ली सरकार में अहम मंत्रालयों की जिम्मेदारियां बखूबी निभाई। मनीष सिसोदिया के जेल जाने के बाद आतिशी को शिक्षा मंत्रालय सहित कई अन्य मंत्रालय का जिम्मा सौंपा गया। आतिशी 2013 में आम आदमी पार्टी से जुड़ी जब आम आदमी पार्टी पहली बार सत्ता में आई उस वक्त आतिशी को मेनिफेस्टो ड्राफ्टिंग कमेटी का मेंबर भी बनाया गया था।

2015 में मध्य प्रदेश में हुए जल सत्याग्रह में भी आतिशी ने अहम भूमिका निभाई थी। वहीं 2015 से लेकर 2018 तक पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की एडवाइजर भी रही। 2020 में दिल्ली कालिका जी विधानसभा से चुनाव लड़ी और जीतकर आई। 2023 में मनीष सिसोदिया के जेल जाने के बाद आतिशी कैबिनेट मंत्री बनी और हाल में पांच मंत्रालयों का जिम्मा आतिशी संभाल रही है जिनमें शिक्षा, महिला एंव बाल कल्याण, संस्कृति एवं पर्यटन और लोक निर्माण विभाग शामिल हैं।


केजरीवाल की इस दाव से आप को कितना फायदा?

केजरीवाल ने पिछले 6 महीनें से जेल से सरकार चलाई लेकिन ऐसा क्या हुआ की जेल से बाहर आते ही उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया। राजनीतिक विशेषज्ञों की माने तो इसके कई कारण हो सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार केजरीवाल मुख्यमंत्री रहते हुए भी किसी सरकारी फाइल पर साइन नहीं कर सकते, सीएम दफ्तर या सचिवालय नहीं जा सकते हैं। ऐसे में अगले 5 महीनों बाद दिल्ली विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और पूर्व में केजरीवाल के द्वारा किए गए वादे लागू नहीं हो पाए तो इसका सीधा असर चुनाव में देखने को मिल सकता है।

पिछले 6 महीनों से केजरीवाल के जेल में होने से एक बार भी कैबिनेट बैठक नहीं हो पाई जिससे कई अहम फाइलें अटके पड़े हैं। अस्पतालों की हालत खस्ती है, शिक्षकों की बहाली नहीं हो पा रही है। मार्च में केजरीवाल के द्वारा ऐलान किए गए मुख्यमंत्री महिला सम्मान योजना ठंडे बस्ते में चली गई जिसके तहत हर महिला को 1 हजार रुपए/माह देने का वादा किया गया था।

केजरीवाल ने एक तीर से साधे कई निशाने?

जहां एक तरफ उन्होंने विपक्ष के उन हमलों का जवाब दिया जब बीजेपी मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा के लिए लगातार राष्ट्रपति को पत्र लिख रही थी। और हाल ही में इस पर एक्शन भी शुरू हो गए थे। पत्र को लेकर राष्ट्रपति ने गृह मंत्रालय से जवाब भी मांगे थे अगर केंद्र द्वारा मुख्यमंत्री को हटाया जाता तो यह आप के लिए दोहरी चुनौती होती। आप को केजरीवाल के इस्तीफे से हरियाणा चुनाव में सिंपैथी वोट मिलने के आसार हैं। और यह इसलिए भी अहम है क्योंकि खुद केजरीवाल हरियाणा से ताल्लुक रखते हैं।

केजरीवाल ने जनता से अपील करते हुए कहा कि अगले कुछ महीनों में चुनाव है अगर आपको लगता है मैं दोषी हूं तो आप मुझे वोट मत करना। उन्होंने रामायण का जिक्र करते हुए कहा कि जब भगवान राम 14 वर्ष के लिए वनवास गए तो मां सीता को अग्नि परीक्षा देनी पड़ी थी और मैं भी अब अग्नि परीक्षा देने के लिए तैयार हूंँ।

मैं जनता की अदालत में हूं और जब तक जनता अपना फैसला नहीं सुना देती मैं मुख्यमंत्री पद पर नहीं बैठूंगा। केजरीवाल की मार्मिक अपील जो कट्टर ईमानदार छवि जिसे लेकर लोगों में सवाल खड़े हो रहे थे उसे भी सुधरने में अब मदद मिलेगी।

आतिशी अपनाएगी बागी तेवर?

पूर्व में ऐसा देखा गया है कि जब किसी मुख्यमंत्री ने त्यागपत्र देकर अपने किसी विश्वसनीय को सत्ता की चाबी थमाई तब वह बागी हुए। 2014 में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दलित नेता जीतन राम मांझी को मुख्यमंत्री की कुर्सी सौंपी लेकिन बाद में मांझी ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देने से इनकार करते हुए बागी तेवर अपना लिए और अपनी पार्टी बना ली। हाल ही में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जेल जाने से पहले चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री बनाया और चंपई सोरेन बागी होकर भाजपा में शामिल हो गए।

लेकिन सीएम के ऐलान होने के बाद खुद आतिशी ने कहा कि हम सबको मिलकर दिल्ली के जनता के लिए काम करना है। और अगले चुनाव में केजरीवाल को मुख्यमंत्री बनाना है। मंत्री सौरभ भारद्वाज भी कह चुके हैं की मुख्यमंत्री कोई भी बने कुर्सी केजरीवाल की ही रहेगी। अब तो आने वाले दिनों में ही इस सवाल के जवाब मिलेंगे।

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