
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट ने आबकारी नीति घोटाले में सीबीआई मामले में उन्हें जमानत दे दी है। सुप्रीम कोर्ट ने “जमानत नियम – जेल अपवाद” के सिद्धांत पर चलते हुए आबकारी मामले में चौथी बार जमानत दी है। ईडी के मामले में केजरीवाल को पहले ही जमानत मिल चुकी थी। जमानत मिलने पर आप नेताओं ने इसे लोकतंत्र की जीत और तानाशाही की हार बताया है। कोर्ट ने 5 सितंबर को दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रखा था।
कोर्ट ने किन बातों का जिक्र किया?
मामले की सुनवाई कर रही दो जजों की बेंच, जिसमें जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस भुइयां शामिल थे, जमानत देने के बिंदु पर दोनों जजों की राय समान थी। लेकिन सीबीआई द्वारा गिरफ्तारी को लेकर उनके मत अलग थे। जस्टिस सूर्यकांत ने सीबीआई की गिरफ्तारी को प्रक्रियागत और वैधानिक बताया और यह भी कहा कि किसी व्यक्ति को पहले से हिरासत में रहते हुए भी उसी अपराध या किसी और अपराध में गिरफ्तार किया जा सकता है।
जस्टिस भुइयां ने सीबीआई की गिरफ्तारी पर सवाल उठाते हुए पूछा कि केजरीवाल की गिरफ्तारी पिछले 22 महीनों में क्यों नहीं की गई। जब केजरीवाल ईडी मामले में रिहा होने वाले थे, तभी उनकी गिरफ्तारी क्यों की गई? उन्होंने सीबीआई को सख्त टिप्पणी करते हुए कहा, “पिंजरे में कैद तोते होने का भ्रम तोड़े सीबीआई।”
सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले भी 11 साल पहले सीबीआई को ‘बंद पिंजरे का तोता’ कहा था। 2013 में सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस आर.एम. लोढ़ा, जस्टिस मदन बी. लोकुर, और जस्टिस कुरियन जोसेफ की बेंच ने कोयला घोटाला मामले की सुनवाई में इसी तरह की टिप्पणी की थी।
जमानत को लेकर दोनों जजों ने एक स्वर में कहा कि किसी व्यक्ति को लंबे समय तक अन्यायपूर्ण तरीके से जेल में रखना उसके मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। कोर्ट ने यह भी पाया कि मामले में 500 से ज्यादा गवाह हैं, जिससे ट्रायल में समय लग सकता है, इसलिए जमानत देने में कोई दिक्कत नहीं है।
जमानत को लेकर कुछ शर्तें:
- केजरीवाल मुख्यमंत्री कार्यालय या सचिवालय नहीं जाएंगे।
- किसी सरकारी फाइल पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे, जब तक ऐसा करना आवश्यक न हो।
- मीडिया या अन्य स्रोतों के माध्यम से केस से संबंधित कोई बात नहीं करेंगे।
- आवश्यकता पड़ने पर ट्रायल कोर्ट के समक्ष पेश होंगे और जांच में सहयोग करेंगे।
- केस से संबंधित गवाहों से संपर्क नहीं करेंगे।
आबकारी मामला क्या है?
17 नवंबर 2021 को दिल्ली सरकार ने नई एक्साइज पॉलिसी लागू की, जिसके तहत शराब के ठेकों सहित संबंधित कारोबार का जिम्मा निजी हाथों में दे दिया गया, जो पहले दिल्ली सरकार के अधीन था। सरकार का तर्क था कि इससे सरकारी राजस्व को बढ़ावा मिलेगा और बिचौलियों से बचा जा सकेगा।
लेकिन कुछ दिन बाद ही पॉलिसी को लेकर सवाल उठने लगे। 8 जुलाई 2022 को तत्कालीन मुख्य सचिव नरेश कुमार ने रिपोर्ट किया कि नई शराब नीति बनाने में अनियमितता बरती गई, और नियमों को नजरअंदाज किया गया। कोविड-19 के दौरान आर्थिक तंगी के नाम पर ठेकेदारों के 144.36 करोड़ रुपये लाइसेंस फीस माफ कर दिए गए थे। इसके अलावा, एयरपोर्ट जोन के लाइसेंस धारकों को 30 करोड़ रुपये लौटा दिए गए थे। नरेश कुमार की रिपोर्ट के आधार पर 17 अगस्त 2022 को उपराज्यपाल ने मामले की जांच सीबीआई को सौंप दी।
आबकारी मामले में बड़े नेताओं को जमानत
- अरविंद केजरीवाल: कथित शराब नीति घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग के तहत 21 मार्च 2024 को ईडी ने केजरीवाल को गिरफ्तार किया था। 11 मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें 2 जून तक लोकसभा चुनाव प्रचार के लिए जमानत दी थी। 25 जून को ट्रायल कोर्ट ने ईडी मामले में जमानत दी, लेकिन उसी दिन सीबीआई ने केजरीवाल को तिहाड़ जेल से अपनी हिरासत में ले लिया। अंततः 9 सितंबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई मामले में भी उनकी रिहाई का आदेश दिया।
- मनीष सिसोदिया: दिल्ली शराब नीति घोटाले को लेकर 26 फरवरी 2023 को गिरफ्तार किए गए थे। नई शराब नीति बनाते समय सिसोदिया आबकारी मंत्री थे। सुप्रीम कोर्ट ने 9 अगस्त को “जेल अपवाद – जमानत नियम” के सिद्धांत पर उन्हें रिहा करने का आदेश दिया।
- के. कविता: बीआरएस नेता को 15 मार्च 2024 को गिरफ्तार किया गया था। आप नेता विजय नायर के जरिए साउथ लॉबी को 100 करोड़ रुपये की रिश्वत देने का आरोप था। 27 अगस्त 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी।
- संजय सिंह: आप सांसद संजय सिंह को 4 अक्टूबर 2023 को गिरफ्तार किया गया था। उन पर आरोप था कि उन्होंने आरोपियों से दो करोड़ रुपये रिश्वत ली थी। 2 अप्रैल 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दे दी।
केजरीवाल के बाहर आने से विधानसभा चुनाव के समीकरण
केजरीवाल की जेल से रिहाई के बाद आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं में उत्साह है। अब तक हरियाणा के चुनाव प्रचार में भगवंत मान और सुनीता केजरीवाल सक्रिय थे, लेकिन अब केजरीवाल के बाहर आने से हरियाणा विधानसभा चुनाव में समीकरण बदल सकते हैं। आप ने जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनाव में भी अपने उम्मीदवार उतारे हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि दिल्ली में अगले 5 महीनों में चुनाव होने वाले हैं, जिसे लेकर मनीष सिसोदिया जेल से निकलने के अगले दिन से ही पूरी दिल्ली में पदयात्रा कर रहे हैं।
फरवरी 2025 में होने वाले दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी पूरी तरह तैयार है। आगामी चुनावों में यह साफ हो जाएगा कि कथित शराब घोटाले को लेकर अरविंद केजरीवाल, संजय सिंह, और मनीष सिसोदिया पर लगे आरोपों को जनता किस रूप में देखती है।