
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दिल्ली में नीति आयोग की बैठक से वॉकआउट किया है। बैठक से बाहर निकलने के बाद ममता बनर्जी ने आरोप लगाया कि मीटिंग में उनका अपमान किया गया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को राज्य सरकारों के साथ भेदभाव नहीं करना चाहिए। वह मीटिंग में बोलना चाहती थी लेकिन उन्हें केवल 5 मिनट बोलने की अनुमति दी गई। उनसे पहले लोगों ने 10-20 मिनट तक बात की। पश्चिम बंगाल की सीएम ने कहा कि वह विपक्ष की एकमात्र सदस्य थी जो मीटिंग में भाग ले रही थी लेकिन फिर भी उन्हें बोलने की अनुमति नहीं दी गई।
मेरा माइक बंद कर दिया गया: ममता
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि मैं बोल रही थी और मेरा माइक बंद कर दिया गया। मैंने कहा कि आपने मुझे क्यों रोका, आप भेदभाव क्यों कर रहे हैं। मैं बैठक में भाग ले रही हूं, आपको खुश होना चाहिए, इसके बजाय आप अपनी पार्टी और अपनी सरकार को और अधिक विपक्ष से केवल मैं ही हूं और आप मुझे बोलने से रोक रहे हैं। यह न केवल बंगाल का अपमान है, बल्कि सभी क्षेत्रीय दलों का भी अपमान है।
ममता ने की थी नीति आयोग को खत्म करने की मांग
ममता बनर्जी ने इस बैठक से नीति आयोग को खत्म करने की मांग की थी। सीएम ममता बनर्जी ने अपनी इस मांग के पीछे की वजह भी बताई थी। उन्होंने कहा था कि इस नीति आयोग को बंद कर दें क्योंकि यह सिर्फ बैठक बुलाने के अलावा कुछ नहीं करता है। इसके साथ ही ममता बनर्जी ने योजना आयोग को वापस लाने की मांग की थी।
कांग्रेस से अलग होकर बनाई अपनी पार्टी और वामपंथियों को हराया
ममता बनर्जी ने राजनीति की शुरुआत कांग्रेस पार्टी से की थी, लेकिन 1998 में उन्होंने कांग्रेस से अलग होकर खुद अपनी पार्टी तृणमूल कांग्रेस का गठन किया. दरअसल, ममता बनर्जी का आरोप था कि कांग्रेस पार्टी उस समय बंगाल की सत्ताधारी पार्टी माकपा का दमदारी से मुकाबला नहीं कर पा रही है. अपनी बरसों पुरानी पार्टी और देश के सबसे पुराने राजनीतिक दल से अलग होकर खुद की पार्टी खड़ी करने का ये फैसला बहुत बड़ा और कठिन था.
15 वर्ष की उम्र में शुरू की राजनीति
15 वर्ष की आयु में वे प्रदेश की राजनीति में सक्रिय हो गई थीं. साल 1976 में ये पश्चिम बंगाल में महिला कांग्रेस (आई) की महासचिव नियुक्त की गई. इसके बाद 1984 में लोकसभा सदस्य चुनी गई. साल 1991 में केंद्र में राज्य मंत्री के रूप में कार्य किया. 1999 में बनर्जी ने केंद्र में रेल मंत्री, 2004 में कैबिनेट मंत्री और 2009 में फिर से केंद्र में रेलवे मंत्री के रूप में अपनी सेवाएं दीं. उन्होंने रेल मंत्री रहते हुए कई दुरंतो ट्रेनों का संचालन करवाया. उनकी पहचान एक फायर ब्रांड नेत्री के रूप में स्थापित हुई.