कांवड़ यात्रा रूट नेम प्लेट मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बढ़ाई

कांवड़ यात्रा रूट पर दुकानदारों के लिए नेम प्लेट लगाने को अनिवार्य किए जाने पर रोक जारी रहेगी। इस संबंध में जारी सुप्रीम आदेश को बरकरार रखा गया है। कावड़ यात्रा रूट पर दुकानों में नेम प्लेट लगाने संबंधी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना अंतरिम आदेश बरकरार रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने पहले इस मामले की सुनवाई करते हुए दुकानों पर नेम प्लेट लगाने संबंधी आदेश पर रोक लगा दी है। इससे संबंधित दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए करते हुए सुप्रीम अदालत ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश सरकार से जवाब मांगा था। सुप्रीम कोर्ट में उत्तर प्रदेश सरकार ने अपना जवाब दाखिल कर दिया है। वहीं, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड सरकार की ओर से जवाब नहीं आ पाया। सुप्रीम कोर्ट में शुक्रवार को एक बार फिर याचिका पर सुनवाई हुई। इस दौरान मध्य प्रदेश और उत्तराखंड सरकार को सोमवार तक जवाब दाखिल करने के लिए कहा गया है। अब इस मामले में सोमवार 29 जुलाई को अगली सुनवाई होगी।

यूपी से गरमाया है मामला

मुजफ्फरनगर प्रशासन की ओर से सबसे पहले कांवड़ रूट पर लगने वाली दुकानों पर नेम प्लेट लगाने का आदेश जारी किया गया। इस नेम प्लेट पर दुकानदार और इसमें काम करने वाले कर्मियों के नाम की जानकारी देने को कहा गया। इस आदेश के बाद मुजफ्फरनगर में विरोध शुरू हो गया। अखिलेश यादव से लेकर मायावती और एआईएमआई प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी तक प्रशासन के खिलाफ बयान देने लगे। हालांकि, मुजफ्फरनगर प्रशासन के आदेश को सहारनपुर और शामली में भी लागू कर दिया गया। विवाद गहराया तो योगी सरकार पर कार्रवाई का दबाव बढ़ा। योगी सरकार ने इस मामले में चौंकाने वाला फैसला लेते हुए प्रदेश के सभी रूटों पर दुकानों के आगे नेम प्लेट का आदेश जारी कर दिया।

22 को जारी किया गया था अंतरिम आदेश

कोर्ट ने कांवड़ यात्रा की शुरुआत के साथ ही रूट पर नेम प्लेट लगाने संबंधी आदेश पर रोक लगाने का आदेश दिया। दरअसल, दुकानदारों की ओर से दायर याचिका में आर्थिक चोट पहुंचाने वाला यह आदेश बताया गया। कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान कांवड़ यात्रा रूट पर बने होटल, ढाबे और रेस्टोरेंट्स को शाकाहारी या मांसाहारी का बोर्ड लगाने का आदेश दिया। दुकान के मालिक या कर्मियों के नाम लिखने को अनिवार्य किए जाने पर रोक लगा दी गई। अब योगी सरकार की ओर से कोर्ट में पेश किए गए जवाब में कानून व्यवस्था बनाए रखने और आस्था पर चोट न पड़ने देने को लेकर इस प्रकार का आदेश जारी किए जाने की बात कही है। 

नाम न लिखो तो व्यापार बंद

जस्टिस भट्टी ने सिंघवी से कहा कि बात को बढ़ा-चढ़ा कर नहीं रखना चाहिए. आदेश से पहले यात्रियों की सुरक्षा को भी देखा गया होगा. सिंघवी ने जस्टिस भट्टी की टिप्पणी के बाद कहा कि दुकानदार और स्टाफ का नाम लिखना जरूरी किया गया है, नाम न लिखो तो व्यापार बंद, लिख दो तो बिक्री खत्म. सिंघवी बोले कि मुस्लिम, ईसाई, बौद्ध सब इन यात्रियों के काम आते रहे हैं, आप शुद्ध शाकाहारी लिखने पर ज़ोर दे सकते है.

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