MF ने पाकिस्तान को 1.1 अरब अमेरिकी डॉलर के ऋण की तत्काल मंजूरी दी

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने पाकिस्तान को राहत पैकेज के तहत 1.1 अरब अमेरिकी डॉलर की तत्काल मदद को मंजूरी दे दी है.आईएमएफ ने कहा कि देश को अपनी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए कड़े कदम उठाने की जरूरत है.
इस संबंध में निर्णय अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के कार्यकारी बोर्ड ने लिया. उसने आईएमएफ की अतिरिक्त व्यवस्था (एसबीए) द्वारा समर्थित पाकिस्तान के आर्थिक सुधार कार्यक्रम की दूसरी तथा अंतिम समीक्षा पूरी करने के बाद यह फैसला किया गया.

IMF ने दुनिया के 60 से अधिक देशों को कर्ज दे रखा है. इसमें बांग्लादेश, पाकिस्तान, नेपाल समेत कई दुनियाभर के दर्जनों देश शामिल हैं. ऐसे में सवाल है कि आखिर दुनिया को कर्ज बांटने वाले IMF के पास इतना पैसा कैसे और कहां से आता है?

IMF एक अंतरराष्ट्रीय संगठन है जिसमें दुनिया के 190 देश शामिल हैं. ये मिलकर काम करते हैं ताकि दुनिया की अर्थव्यवस्था को व्यवस्थित रखा जा सके. इसकी शुरुआत कब और क्यों हुई, अब इसे समझ लेते हैं. इसका गठन1944 में अमेरिका में हुए ब्रेटन वुड्स सम्मेलन में हुआ था. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान हुए इस सम्मेलन में यूनाइटेड किंगडम, अमेरिका और तत्कालीन सोवियत संघ सहित 44 देशों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया था. 

आईएमएफ की नजर तीन चीजों पर रहती है. पहली, यह दुनियाभर के देशों की ऐसी घटनाओं पर नजर रखता है जिनका असर सीधेतौर पर अर्थव्यवस्था पर होता है. जैसे- व्यापार से जुड़े विवाद और ब्रेक्जिट.

आईएमएफ के पास तीन तरह से पैसा आता है. इससे जुड़ने के जो देश कैपिटल सब्सक्रिप्शन जमा करते हैं, वो भी इसकी कमाई का हिस्सा है. वो कितना पैसा जमा करेंगे यह उस देश की अर्थव्यवस्था पर निर्भर करता है. आईएमएफ के बोर्ड ऑफ गवर्नर्स ने 2023 में कोटा का रिव्यू किया था और कैपिटल सब्सक्रिप्शन में 50 फीसदी की बढ़ोतरी की थी. इसके अलावा सदस्य देशों की मंजूरी के लिए उन्हें इसकी जानकारी भी भेजी गई थी. दूसरा तरीका है, NAB यानी न्यू अरेंजमेंट्स टू बॉरो (New Arrangements to Borrow). आईएमएफ के बोर्ड ने 1997 इसे मंजूरी दी थी और 1998 में प्रभावी हुआ था. 

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