आस्था के नाम पर मौत का तांडव, 130 लोगों की मौत

उत्तर प्रदेश के हाथरस में सत्संग के दौरान हुई भगदड़ में 130 लोगों की मौत हो गई, जबकि 150 से ज्यादा लोग गंभीर रूप से घायल हैं। यह घटना हाथरस जिले से करीब 47 किलोमीटर दूर फुलरई गाँव में हुई। मरने वालों में 108 महिलाएं, 15 बुजुर्ग, और 7 बच्चे शामिल थे। घटना तब हुई जब भोले बाबा उर्फ साकार विश्व हरि मंच से प्रवचन खत्म कर जाने लगे। भक्तों की भीड़ ने बाबा के चरणों की धूल लेने और उनसे मिलने के लिए बैरिकेड तोड़कर उनके नजदीक जाने की कोशिश की। बाबा के सेवादल और सुरक्षा गार्डों ने पानी की बौछार की, जिससे लोग आगे नहीं बढ़ सके, लेकिन कच्ची मिट्टी होने के कारण कीचड़ में फंस गए और देखते ही देखते हजारों की भीड़ एक-दूसरे के ऊपर से गुजरती गई, जिससे सैकड़ों लोगों की जान चली गई। समागम में आने वाले ज्यादातर लोग मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और उत्तराखंड से भोले बाबा का प्रवचन सुनने आए थे। घटना के दौरान मौजूद लोगों के अनुसार, कई लोगों की मौत दम घुटने और हार्ट अटैक से हो गई। भोले बाबा के दरबार में भारी संख्या में लोग इसलिए भी आते हैं क्योंकि यहां चढ़ावा और प्रसाद का झंझट नहीं होता है, और ना ही कोई साहित्य या किताबें बेची जाती हैं।

प्रशासन ने आयोजकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली है, लेकिन इसमें प्रवचनकार भोले बाबा का नाम शामिल नहीं है। बताया जाता है कि भोले बाबा की पहुंच सांसदों से लेकर मुख्यमंत्री तक है। जनवरी 2023 में उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव भोले बाबा के दरबार में देखे गए थे और उन्होंने इसकी जानकारी खुद सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘एक्स’ पर दी थी।

साकार विश्व हरि उर्फ सूरज पाल उर्फ भोले बाबा पिछड़ा वर्ग से ताल्लुक रखते हैं और उनके समागम में ज्यादातर अनुयायी ओबीसी, एससी, और मुस्लिम समाज के लोग होते हैं। इसी जातीय समर्थन को लेकर कई राजनेता उनके पीछे रहते हैं।

किस कारणों से समागम सभा के दौरान भगदड़ मची?

  1. भीड़ नियंत्रण में कमी: आयोजकों ने प्रशासन से केवल 80 हजार भक्तों के आने की अनुमति मांगी थी और उसी के अनुसार व्यवस्था की गई थी, लेकिन 2 जुलाई को होने वाले प्रवचन को सुनने के लिए भक्तों का जत्था दो दिन पहले से ही आना शुरू हो गया, और 80 हजार की जगह 2 लाख से ज्यादा लोग पहुंच गए। इससे प्रशासन के लिए भीड़ को नियंत्रित करना एक चुनौती बन गया।
  2. तापमान और उमस का असर: घटना के दिन तापमान 30 डिग्री था और भीड़ होने के कारण उमस बढ़ गई। लोग पानी की बौछार से बचने और पंडाल से बाहर जाने के लिए संकरे रास्ते का सहारा ले रहे थे। बीच में फंसने के कारण धक्का-मुक्की हुई, जिससे कई लोगों की दम घुटने से मौत हो गई।
  3. अस्पताल में चिकित्सा सुविधाओं की कमी: कुछ लोगों की जान बचाई जा सकती थी, लेकिन समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाने के कारण उनकी मृत्यु हो गई। पीड़ितों के अनुसार, सिकंदराराऊ के नजदीकी अस्पताल में केवल 2 डॉक्टर मौजूद थे। चिकित्सा सुविधा के अभाव में कई लोगों ने अस्पताल के बाहर ही दम तोड़ दिया। अस्पताल के गेट पर लाशें ऐसी पड़ी थीं जैसे कोई सामान की बोरियां एक लाइन में रखी हों।
  4. प्रशासन की देरी: घटना के 2 घंटे बाद बड़े पुलिस अधिकारी घटना स्थल पर पहुंचे, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना की जांच के आदेश दिए और मृतकों के परिजनों को 2 लाख रुपये और घायलों को 50 हजार रुपये देने की घोषणा की। सोशल मीडिया पर लाशों का वीडियो वायरल होने के बाद गृह मंत्री, प्रधानमंत्री मोदी, और कई नेताओं ने घटना पर दुख व्यक्त किया।

प्रशासन की लापरवाही

प्रशासन की लापरवाही स्पष्ट है क्योंकि इससे पहले भी मई 2022 में फर्रुखाबाद में भोले बाबा उर्फ साकार विश्व हरि के प्रवचन में 50 हजार लोग मौजूद थे, जबकि प्रशासन ने कोरोना गाइडलाइनों के तहत केवल 50 लोगों को अनुमति दी थी। उस वक्त पूरे शहर में ट्रैफिक जाम की स्थिति पैदा हो गई थी, जिससे बाबा को बीच में ही प्रवचन छोड़ना पड़ा था।

भोले बाबा का पुराना इतिहास

भोले बाबा, जो पहले सूरज पाल थे, 28 साल पहले उत्तर प्रदेश के इटावा में पुलिस हेड कांस्टेबल के पद पर तैनात थे। साल 2000 में उन्हें यौन शोषण और जादू-टोना करने के आरोप में नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया था, लेकिन पर्याप्त सबूत न होने के कारण कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया। जेल से बाहर आने के बाद उन्होंने अपना नाम बदलकर भोले बाबा उर्फ साकार विश्व हरि रख लिया और भक्तों के बीच प्रवचन देने लगे।

भोले बाबा अन्य बाबाओं की तरह भगवा वस्त्र नहीं पहनते, बल्कि कभी 3-पीस ब्लेज़र तो कभी सफेद शर्ट और पैंट में नजर आते हैं। उनका आश्रम मैनपुरी में करीब 30 एकड़ में फैला है। बाबा की अपनी “सेवादल” नामक सुरक्षा टीम है, जिसमें ज्यादातर महिलाएं शामिल हैं, क्योंकि उन्हें पुरुषों पर उतना भरोसा नहीं है। बाबा मीडिया से दूरी बनाए रखते हैं। उनका यूट्यूब चैनल है, जिसमें 30 हजार फॉलोअर्स हैं, लेकिन उनके प्रवचनों में लाखों लोग आते हैं। भोले बाबा का दावा है कि जेल से बाहर आने के बाद उन्हें भगवान का साक्षात्कार हुआ है।

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