
इजराइल अब दो मोर्चों पर जंग लड़ रहा है। एक तरफ फिलिस्तीन का आतंकी संगठन हमास जिससे अक्टूबर, 2023 से युद्ध लड़ रहा है तो वहीं अब ईरान ने भी सीरिया में हुए हमले को लेकर इजराइल पर बारूदों की बारिश कर दी है। ईरान ने 150 मिसाईलें और 300 ड्रोन के जरिये हमले किए हैं लेकिन इजराइल के सेना के हवाले से यह पुष्टि की गई है कि 99% मिसाइलों को आयरन डोम के जरिये हवा में ही खत्म कर दिया गया है। आयरन डोम इजराइल में बनी ऐसी सुरक्षा तकनीक है जिसके जरिये दुश्मन के द्वारा छोड़े गए मिसाईलें या अन्य हवाई हमलों से बचाता है। ईरान के इस हमले के बाद इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा है कि हम ईरान को मुहतोड़ जबाब देंगे। इसी के साथ पश्चिमी देश अमेरिका, फ्रांस, ब्रिटेन ने भी इजराइल का साथ देने का भरोसा दिया है।
आखिर ईरान ने क्यों इजराइल पर हमला किया ?
1 अप्रैल, 2024 को इजराइल ने सीरिया की राजधानी दमिश्क में ईरानी एंबेसी के पास एयर स्ट्राइक किया जिसमें ईरान के 2 वरिष्ठ अधिकारी सहित 15 लोगों की जान चली गई। घटना के बाद ईरान के राष्ट्रपति इब्राहीम रईसी ने कहा कि हम इजराइल के इस हमले का जबाब जरूर देंगे और साथ में अमेरिका को भी यह चेतावनी दी थी कि वो ईरान-इजराइल के बीच ना आए। इसी घटना को लेकर 13 अप्रैल की देर रात ईरान ने इजराइल के उपर ताबड़तोड़ 200 से ज्यादा मिसाईलें दागें लेकिन इस हमले में इजराइल को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ क्योंकि अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने इजराइल को पहले ही अगाह कर दिया था जिससे लेकर इजराइल पूरी तरह तैयार बैठा था। अब जबाबी कारवाई को लेकर इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कैबिनेट बैठक की है और साथ में अमेरिका से भी चर्चा की है।
रिपोर्ट में दावा किया जा रहा है कि अगर ये युद्ध लंबा खिंचता है तो इससे मिडिया ईष्ट के देशों से अमेरिका के रिश्ते और खराब हो जाऐंगे और इसका सीधा फायदा चीन को होगा। 13 अप्रैल, 2024 को यूएई से ओमान की खाड़ी होकर भारत आ रहा मालवाहक जहाज को ईरान के रिवोल्यूशनरी गार्ड ने अपने कब्जे में ले लिया। बताया जाता है कि यह जहाज इजराइल के अरबपति इयाल ओफेर के है। खतरे को देखते हुए भारत सरकार ने भारतीय लोगों को इजराइल और ईरान नहीं जाने की सलाह दी है और हेल्पलाइन नंबर भी जारी किए हैं। स्थित खराब होने पर इन दोनों देशों में रहने वाले भारतीय मूल के लोग एंबेसी से हेल्पलाइन नंबर पर कंटेक्ट कर सकते हैं।
एक-दूसरे के दोस्त कहे जाने वाले ईरान इजराइल कैसे बने दुश्मन ?
साल 1948 में मिडिया ईस्ट में फिलिस्तीन से टूटकर एक यहूदी देश बना जिसे इजराइल के नाम से जाना गया। उस समय ज्यादातर इस्लामिक देशों ने इजराइल को मान्यता देने से इनकार कर दिया लेकिन तुर्की के बाद ईरान दूसरा इस्लामिक देश था जिसने इजराइल को मान्यता दी। 1948 से लेकर 1978 तक ईरान में शाही परिवार का दबदबा सत्ता में बना रहा तबतक ही ईरान – इजराइल के संबंध अच्छे थे। यहाँ तक की ईरान के खुफिया एजेंसी को मोसाद से ट्रेनिंग मिलती थी।
अमेरिका और ईरान से बढ़ती नजदीकियां और खुमैनी के द्वारा आम लोगों में शाही शासन के खिलाफ विरोध की आवाज को मजबूत किए जाने के कारण साल 1979 में ईरान में इस्लामिक क्रांति आई जिसके बाद खुमैनी सत्ता संभालते ही इजराइल की मान्यता रद्द कर दी, इजराइली एंबेसी के बिल्डिंग को फिलिस्तीन एंबेसी को दे दिया गया और सबसे खास बात ईरान को इस्लामिक देश घोषित किया गया जो राजा शाह रजा पहलवी कभी नहीं चाहते थे। इसके बाद से ईरान इजराइल का दुश्मन देश बन गया और फिर ईरान ने अप्रत्यक्ष रूप से इजराइल को नुकसान पहुंचाने के लिए हमास, हिजबुल्ला और कई आतंकी संगठन के जरिये कई हमले करवाएं।