
रेप पीड़िता के बजाय रेप के दोषीयों का समाज से बहिष्कार होना चाहिए ना कि उस नाबालिग छात्रा का जिसके साथ गैंगरेप हुआ। किसी भी लड़की या महिला का रेप होने के बाद वो शारीरिक और मानसिक तौर पर पहले ही टूट चुकी होती है और जो बचा हिम्मत परिवार उसे सपोर्ट करके देता है लेकिन हमारा समाज उसे भी ताने मारकर उस लड़की को आत्महत्या करने पर मजबूर कर देता है, अगर वो लड़की आत्महत्या नहीं भी करे तो समाज के द्वारा उसे उस बंधन में जकड़ दिया जाता है जहाँ वो सांस तो ले लेकिन जिंदा मूर्ति के समान रहे। उसके घर से बाहर जाने पर प्रतिबंध, स्कूल जाने पर पाबंदी, बाजार जाने पर पाबंदी और यहाँ तक की खुद प्रिंसिपल उसे परिक्षा में ना बैठने दे, घर से बाहर निकले तो लोग ऐसे देखें जैसे किसी अजनबी को देख लिया हो। एनसीआरबी के मुताबिक भारत में हर दो मिनट में 3 रेप की घटनाएं होती है। ये सिर्फ रजिस्टर मामले है। हमारे समाज के साथ हमारा कानून भी ढ़ीला और लाचार है, निर्भया गैंग रेप के दोषियों को 11 साल बाद सजा सुनाया गया।