
पूर्वी एशियाई देश ताइवान में 2 अप्रैल को आई जोरदार भूकंप के कारण अबतक 10 लोगों की मौत हो चुकी है वहीं 1000 से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं। 26 से ज्यादा इमारतें क्षतिग्रस्त हो चुकी है, न्यूज़ एजेंसी रायटर्स के मुताबिक मलबे में 100 लोगों की दबे होने की आशंका है। भूकंप की तीव्रता 7.5 मापी गई और भूकंप का केंद्र हुलिएन शहर से लगभग 18 किमी दक्षिण में स्थित है।
अमेरिकी भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण के अनुसार ताइवान में 25 साल बाद इतनी बड़ी भूकंप आई है। ताइवान 168 छोटे – छोटे द्वीपों से मिलकर बना है, मिडिया रिपोर्टस के मुताबिक भूकंप आने से ज्यादातर द्वीपों में बिजली का कनेक्शन बाधीत हो चुका है, जगह जगह इमारतें और सड़के टूट गई है। सबसे ज्यादा नुकसान ताईवान के पूर्वी तट पर देखा गया है। भूकंप इतना जोरदार था कि पड़ोसी देश चीन के दक्षिण-पूर्वी फुजियान प्रांत में भूकंप से कई घर तबाह हो गए।
ताइवान में भूकंप कब – कब आए?
साल 1935 में 7.7 तीव्रता की भूकंप ने पूरे ताईवान को हिला कर रख दिया था। उस दौरान तबाही इतनी बड़ी थी कि 3200 से ज्यादा लोग मरे थे 50 हजार से ज्यादा लोग घायल हुए थे। 1999 में आई दूसरी सबसे बड़ी भूकंप जिसकी तीव्रता 7.6 थी, 600 बार भूकंप के झटके महसूस किए गए और उस तबाही में लगभग 2400 लोगों की मौत हुई थी, 50 हजार लोग घायल हुए थे। जान-माल के नुकसान के साथ अर्थव्यवस्था को भी भारी झटका लगा। इसके बाद 2016 में आई भूकंप ने भी कहर बरपाया जिसमें 114 लोगों की जान चली गई, सैकड़ों लोग घायल हुए, और अब 8 सालों बाद फिर भूकंप ने दशतक दे दी है।
ताइवान में ज्यादातर भूकंप क्यों आते हैं?
ताइवान रिंग ऑफ फायर पर बसा हुआ देश है। रिंग ऑफ फायर उसे कहते हैं जहाँ वैज्ञानिक दृष्टिकोण से ज्यादातर ज्वालामुखी विस्फोट, भूकंप आने की संभावना होती है। इस खास जगह को चिंह्नित इसलिए किया गया है क्योंकि यहाँ दो टेक्टोनिक प्लेटें आपस में टकराती है तो इससे जो उर्जा निकलती है इसी कारण भूकंप या ज्वालामुखी या सुनामी आते हैं। रिंग आफ फायर का दायरा प्रशांत प्लेट की सीमा से (40, 000 किलोमीटर) आर्क के साथ लेकर फिलिपींस सागर के छोटे प्लेटों से होते हुए कोकोस और नाजका प्लेटों तक फैली हुई है जो प्रशांत महासागर के किनारे तक स्थित हैं। रिंग आफ फायर के दायरे में चीली, जापान, ताईवान, अमेरिका के पश्चिमी तट और सोलोमन द्वीप सहीत दक्षिणी अमरीका के इलाके शामिल हैं।