भारत के इतिहास में पहली बार जेल से संचालित होगी सरकार ?

परिवर्तन निदेशालय ने 21 मार्च 2024 की शाम करीब 10:00 बजे अरविंद केजरीवाल को उनके आवास से गिरफ्तार कर लिया गया और अगले दिन यानी 22 मार्च को केजरीवाल को राऊज एवेन्यू कोर्ट में पेश किया गया और कोर्ट ने ईडी की याचिका को स्वीकार करते हुए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को 28 मार्च तक परिवर्तन निदेशालय के हिरासत में भेज दिया। दरअसल 21 मार्च को हाईकोर्ट ने केजरीवाल की गिरफ्तारी को स्टे करने की याचिका को खारिज कर दिया था इसके तुरंत बाद ही ईडी की टीम केजरीवाल के आवास पहुंचकर उनसे 2 घंटे पूछताछ करने के बाद गिरफ्तार कर लिया।

दुनिया में सबसे बड़ा लोकतंत्र माने जाने वाला देश भारत में लोकतांत्रिक पर्व से ठीक पहले विपक्षी मुख्यमंत्रियों, नेताओं को जेल में भेजना, मुख्य विपक्षी पार्टी का अकाउंट फ्रीज करना वो भी जब तब सत्ता में बैठी पार्टी बीजेपी को खुद ऐसे संस्थानों  (मेघा इंजीनियरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड) से चंदा दिया गया जिनके खिलाफ पूर्व में परिवर्तन निदेशालय ने मनी लांड्रिंग के तहत मामले दर्ज किए गए हैं। मेघा इंजीनियरिंग इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने बीजेपी सबसे ज्यादा 600 करोड़ रुपये का चंदा दिया है। सवाल है कि क्या चुनाव से ठीक पहले वो भी जब आचार संहिता लागू हो गया हो उस वक्त किसी निर्वाचित मुख्यमंत्री और देश की राष्ट्रीय पार्टी के मुखिया को गिरफ्तार करना कितना जायज़ है ?

जैसे चुनाव से पहले आचार संहिता के कारण सरकार योजनाओं का नए योजनाओं ऐलान या लागू नहीं कर सकती, तो क्यों नहीं आचार संहिता लगने के बाद जांच ऐजेंसियों के कार्रवाई पर रोक लगाई जाती है क्योंकि जांच ऐजेंसी भी सरकार के तहत काम करती है। ब्यूरोक्रेट के ट्रांसफर से लेकर सारे मामले चुनाव आयोग के निगरानी में आ सकते हैं तो फिर सेंट्रल जांच ऐजेंसी क्यों नहीं? ऐसे में लोकतंत्र में चुनाव का कोई महत्व नहीं रह जाएगा।

भारत के इतिहास में पहली बार देखा गया कि किसी सिटिंग मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी हुई हो इससे पहले भी 1997 चारा घोटाला मामले में बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू यादव की गिरफ्तारी हुई थी लेकिन लालू यादव ने जेल जाने से पहले अपनी पत्नी राबड़ी देवी को गद्दी सौंप दी थी और हाल ही में 31 मार्च, 2024 को झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी जेल जाने से पहले अपनी कुर्सी चंपत सोरेन को सौपें थे। सोरेन को ईडी ने 8.5 एकड़ के अवैध जमीन कब्जे के केस में गिरफ्तार किया था।

क्या कोई मुख्यमंत्री जेल से सरकार संचालित कर सकता है?
भारत के संविधान में जिक्र जनप्रतिनिधि कानून के अनुसार अगर सदन (राज्यसभा, लोकसभा या विधानसभा) के किसी सदस्य को कोर्ट द्वारा 2 साल या उससे अधिक की सजा सुनाई जाती है तो उसकी सदस्यता खत्म हो जाएगी और वह अगले 6 सालों तक कोई चुनाव भी नहीं लड़ सकता है लेकिन सिर्फ आरोप के आधार पर न वह अयोग्य होगा और न ही चुनाव लड़ने पर प्रतिबंध है।   इसलिए केजरीवाल की गिरफ्तारी होने के बावजूद भी वह अपने पद पर बने हुए हैं। जाने-माने संविधान विशेषज्ञ सुभाष कश्यप कहते हैं कि संविधान निर्माताओं ने कभी नहीं सोचा था कि ऐसी स्थिति भी आएगी कि कोई मुख्यमंत्री ऐसा करेगा।


सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी कहते हैं कि संविधान में बहुत सी ऐसी चीज नहीं है लेकिन मुख्यमंत्री को नैतिकता और व्यावहारिकता को ध्यान में रखते हुए केजरीवाल को पद से इस्तीफा दे देना चाहिए। आप के वरिष्ठ नेता और मंत्री आतिशी, सौरभ भारद्वाज समेत कई नेताओं ने केजरीवाल के इस्तीफे की बात से इनकार किया है। राष्ट्रपति शासन की बात पर सुभाष कश्यप मानते हैं कि उपराज्यपाल केंद्र को राष्ट्रपति शासन की अनुशंसा कर सकते हैं लेकिन ऐसा कोई कानून प्रतिबंध नहीं है।

चुनाव से ठीक पहले विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारी कितना उचित?
जब देश में लोकतंत्र का इतना बड़ा पर्व मनाया जा रहा हो और देश की राष्ट्रीय पार्टी के मुखिया और निर्वाचित मुख्यमंत्री को जेल भेजना वो भी सिर्फ सरकारी गवाह बने अरविंदो फार्मा के मालिक शरद चंद्र रेड्डी के बयान के आधार पर कितना सही है। शरत चन्द्र रेड्डी आबकारी मामले में एक आरोपी है और जनवरी 2024 में सरकारी गवाह बनने के बाद उसे जमानत मिल गई जिसका ईडी ने भी कोर्ट के सामने विरोध नहीं किया था। यह वहीं शरत चंद्र रेड्डी है जिसने आबकारी नीति मामले में गिरफ्तार होने के बाद भाजपा को इल्कटोरल बोन्ड के जरिये 55 करोड रुपए दिए थे जिसका खुलासा अब हुआ जब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एसबीआई ने राजनीतिक पार्टियों के चंदे का हिसाब सार्वजनिक किया। अरविंद केजरीवाल को जेल भेजना क्या उन 14 करोड़ (दिल्ली, पंजाब, गुजरात) लोगों के अपेक्षाओं और अधिकारों का हनन नहीं है ? क्योंकि किसी राजनेता को 5 सालों में एक बार होने वाले इस चुनावी महापर्व में भाग लेने से रोकना लोकतंत्र के लिए अच्छे संकेत नहीं है।

आबकारी नीति मामले को लेकर पूर्व में आम आदमी पार्टी के बड़े चेहरे पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया, राज्यसभा सांसद संजय सिंह, पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन और कई बड़े चेहरे जैसे तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री की बेटी एवं बिआरएस नेता के कविता को भी इसी महीनें गिरफ्तार किया गया है। इस मामले में 32वीं गिरफ्तारी केजरीवाल की हुई है। सवाल यह है कि 2 साल पहले दर्ज हुए इस मामले में अब तक ट्रायल क्यों नहीं शुरू हुआ जब भी कोई जमानत के लिए याचिका लगाता है उस वक्त फिर सपलिमेंटरी चार्जसीट दाखिल कर दी जाती है। 5 सपलिमेंटरी दाखिल करने के बावजूद भी आज तक ट्रायल क्यों नहीं शुरू हुआ। चुनाव से ठीक पहले इस तरह की कार्रवाई कहीं न कहीं राजनीति से प्रेरित दिखती है।

चुनाव लोकतंत्र को बनाए रखने का अहम जरिया होता है और चुनाव में विपक्ष की भागीदारी ना हो तो वैसे ही होगा जैसे रूस में हाल ही में हुए चुनाव में पुतिन को 95 फ़ीसदी से ज्यादा एकतरफा वोट मिले क्योंकि वहां कुछ दिनों पहले ही विपक्षी नेता (एलेक्सी नवलनी) कि जेल में हत्या कर दी गई थी। ऐसा अगर चला रहा तो आने वाले दिनों में भारत में भी रूस जैसी तानाशाही शासन होगा।

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