नूंह में हिंसा का इलाज बुलडोजर जस्टिस ही क्यों?


बीते 31 जुलाई से 3 अगस्त तक हरियाणा के नूंह, ग्रुरूग्राम, पलवल, मानेसर में दो समुदायों के बीच झड़प हुई जिसमें दो होमगार्ड समेत 6 नागरिकों की मौत हो गई। हिंसा के बाद खट्टर सरकार ने हिंसा में शामिल लोगों के घरों पर बुलडोजर कारवाई शुरू कर दी, रिपोर्ट के मुताबिक 750 घरों को बुलडोजर से अबतक गिराया जा चुका है। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में एक परिवार के महिला सदस्य बुलडोजर के सामने खड़े होकर रोते हुए अधिकारियों से उसके घर को न तोड़ने की मिन्नत कर रही है लेकिन अधिकारी फिर भी नहीं रूक रहे है।

हरियाणा – पंजाब हाईकोर्ट ने स्वत: संज्ञान लेते हुए कड़ी आपत्ति जताई और बुलडोजर कारवाई पर तत्काल रोक लगाने का आदेश दिया। जस्‍ट‍िस जीएस संधावालिया ने कहा क‍ि मुद्दा यह भी उठता है कि क्या कानून-व्यवस्था की समस्या की आड़ में किसी विशेष समुदाय की इमारतों को गिराया जा रहा है? क्या कारवाई से पहले नोटिस दिया गई? क्या कोई अमीरों की अवैध कॉलोनी को बिना नोटिस दिए उजाड़ने का साहस करेगा? अगर अवैध निर्माण था तो फिर हिंसा के बाद ही क्यों कारवाई की गई? कोर्ट ने कहा कि राज्य के गृह मंत्री खुद ही कह रहे है कि बुलडोजर हिंसा का इलाज है। कोर्ट ने सरकार से हलफनामा दाखिल करने का समय देते हुए कहा कि अगली सुनवाई 11 अगस्त को होगी।

आखिर बुलडोजर जस्टिस कबतक ?
28 जुलाई को कलकत्ता हाईकोर्ट ने एक अवैध निर्माण के मामले में पुलिस और नगर निगम से कहा कि अगर जरूरत पड़े तो योगी आदित्यनाथ का बुलडोजर किराए पर लेकर आए। सवाल ये है कि क्या खुद न्याय देने वाला तंत्र ही न्यायलय से बाहर फैसला सुनाने का अपील कर रहा हो तो फिर लोकतंत्र में विधायिका का काम क्या उसे कानून बनाने की जरूरत ही नहीं फिर कार्यपालिका को उसे लागू करने की लंबी चौड़ी जद्दोजहद करने की जरूरत नहीं होगी और खुद न्यायपालिका तो मूकदर्शक बना ही रहेगा।

हरियाणा हाईकोर्ट ने ब्रिटिश इतिहासकार लार्ड एक्टन के कथन का जिक्र करते हुए कहा कि सत्ता भ्रष्ट और निरंकुश होती है। पूर्ण सत्ता मिल जाए तो उसे पूरा ही भ्रष्ट कर देती है। हरियाणा – पंजाब हाईकोर्ट में अगली सुनवाई अब 11 अगस्त को होगी।

बुलडोजर प्रथा कि शुरुआत
2022 उत्तर प्रदेश चुनाव रैली के दौरान अखिलेश यादव ने योगी आदित्यनाथ को बाबा बुलडोजर कहा इसके बाद भाजपा ने बुलडोजर को हथियार बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी। पोस्टर, बैनर, पैम्फलेट पर योगी के पोस्टर में बुलडोजर प्रचार शुरू कर दिया और फिर चुनाव में 403 में 273 की भारी जीत का श्रेय भी बुलडोजर माडल को दिखाए जाने लगा। इसके बाद उत्तर प्रदेश में ज्यादातर हिंसा/दंगा या किसी अन्य घटनाओं में बुलडोजर कारवाई आम बात हो गई। कुछ समय बाद बुलडोजर कारवाई मध्यप्रदेश/उत्तराखंड/गुजरात और अब हरियाणा में देखने को मिल रही है।

बुलडोजर बाबा की छवि को मजबूत बनाने में मिडिया की भी अहम भूमिका है। कई बड़े पत्रकार और स्तंभकार (Columist) कोई बड़ी घटना होने के तुंरत बाद न्यूज़ चैनलों के पटी पर “अब चलेगा बुलडोजर? ” – “कौन बचाएगा बुलडोजर से?” दिखाने लगते हैं। मिडिया समाज के लिए बहुत बड़ा इनफ्लुएंसर होता है, उसकी बनाए हुए अवधारणा पर आम लोग विश्वास करते हैं और बढ़ते टेक्नोलॉजी सोशल मीडिया और कई साधनों के आने से मिडिया के द्वारा कही गई एक – एक शब्द चंद सकेंड के अंदर उनके पास पहुंच जाती है।

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