
आखिरकार राहुल गाँधी को 4 महिने 12 दिनों बाद सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली, सुप्रीम कोर्ट ने सेशन कोर्ट के द्वारा दिए गए 2 साल के अधिकतम सजा पर रोक लगा दी है।
यह लोकतंत्र की खूबसूरती ही कहेंगे जब पुलिस महकमा, ब्यूरोक्रेट्स, पार्लियामेंट और अलग अलग राज्यों में सेशन कोर्ट जो ज्यादातर बड़े मामलों में फैसला देने से हिचकिचाते है या सत्ता के अनुरूप फैसला देते हैं। (फैसला देने में हिचकिचाना: पूर्व में सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी)
सत्ता में मौजूद महारथियों को जब ये लगने लगे की वो जो भी फैसला लेगा सर्वेमान्य होगा न उसे न्यायपालिका बदल सकता है न कार्यपालिका और ना ही विधायिका फिर वो मात खाता है। अगर लोकतंत्र में विपक्ष जीवित नहीं होगा फिर लोकतंत्र को राजतंत्र होने में समय नहीं लगेगा। सत्ता की असिमित शक्तियां लोकतंत्र के लिए जितनी अच्छी है उतनी ही बूरी भी। क्योंकि अगर सत्ता अपने मन मुताबिक संवैधानिक संस्थाओं पर दबाव बनाकर हर उस आवाज को दबा दे जो उसके विरोध में उठ रही है और पिछले कई दशकों से लेकर आजतक ये परंपरा चलती आ रही है चाहे जब इंदिरा की टाईम हो तो या आज मोदी की सत्ता हो तब लेकिन सवाल ये है कि राजनेता अपने मन मुताबिक एक दूसरे पर आरोप लगाकर 5 साल गुजार लेती है लेकिन जो जनता उसे पांच साल के लिए उस गद्धी पर बैठाती है उसका क्या? उसकी उम्मीद तो पिछली बार सत्ता में मौजूद पार्टीयों से कहीं बेहतर चुनने की होती है।
आखिर मामला क्या है?
23 मार्च, 2023 को गुजरात सेशन कोर्ट ने राहुल गाँधी को मोदी सरनेम मानहानी मामले में 2 साल की अधिकतम सजा सुनाई जिसे गुजरात हाईकोर्ट ने 7 जूलाई को सुनवाई करते हूए सजा को बरकरार रखा।
सुप्रीम कोर्ट ने 21 जुलाई को मामले में पहली सुनवाई की आखिर में सारी दलिले सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आज (4 अगस्त, 2023) राहुल गाँधी को मिले 2 साल की सजा पर रोक लगा दी और साथ निचली अदालतों से कई सवाल भी पूछे।
जस्टिस बीआर गवई, पीएस नरसिम्हा और संजय कुमार की बेंच ने कहा कि आखिर सेशन कोर्ट ने 2 साल की अधिकतम सजा ही क्यों दी – कोर्ट ने कहा अगर जज ने 1 साल 11 महिने की सजा सुनाई होती तो राहुल गाँधी की सदस्यता नहीं जाती, यहाँ मामला सिर्फ एक व्यक्ति का नहीं है ये उस संसदीय क्षेत्र के वोटरों के भी अधिकार का मामला है। कोर्ट अगर राहुल गाँधी के सजा पर रोक नहीं लगाती तो राहुल आने 2 लोकसभा चुनाव नहीं लड़ सकते थे क्योंकि नियम के अनुसार अगर किसी विधायक या सांसद को 2 साल या उससे ज्यादा की सजा होती है तो वो सांसद/विधायक 2 साल सजा काटने के बाद 6 सालों तक चुनाव भी लड़ने में अयोग्य करार दिया जाता है।
कोर्ट ने राहुल की दोषसिद्दी पर रोक लगाई लेकिन नीचली अदालत में सुनवाई अब भी जारी रहेगी। राहुल गाँधी और कांग्रेस समर्थकों के लिए अच्छी खबर ये है कि राहुल की सदस्यता फिर से वापस आएगी और वो चुनाव भी लड़ सकेंगे। इससे पहले भी जनवरी 2023 में लक्ष्यद्वीप के एनसीपी सांसद को केरल हाईकोर्ट द्वारा दोष मुक्त करने के बाद सभापति ने सांसदीय मेंबरशिप बहाल कर दी थी। अब देखना होगा कि राहुल गाँधी की सदस्यता कितने दिनों में वापस आती है।