
आज फिर से त्रेतायुग लौट आया है जब कौरवों ने पूरे प्रजा के सामने द्रोपदी का चीर हरण किया तो उसे बचाने श्री कृष्णा आए और वहीं आज कलयुग में जब मणिपुर में दो लड़कियों को नग्न कर घूमाया गया फिर पूरे समाज के सामने गैंगरेप किया गया तो उसे बचाने भी कौन आएगा?
घटना क्या हुई ?
4 मई 2023 को मैतई समुदाय के कुछ लोगों ने मिलकर कुकी समुदाय के दो औरतों को पूरे गाँव में नग्न घुमाया फिर छोटी लड़की जिसकी उम्र 20 साल थी उसके साथ गैंगरेप भी किया वहीं दूसरे की उम्र 40 साल थी। घटना के 15 दिन बाद 19 मई को केस भी दर्ज कर लिया गया लेकिन कार्रवाई नहीं की गई अब लगभग 79 दिन बाद वीडियो वायरल होने के पर मुख्यमंत्री करवाई की बात कर रहे हैं। वीडियो सोशल मीडिया पर के आने के बाद प्रधानमंत्री ने भी कार्रवाई की बात कही है लेकिन सबसे बड़ा सवाल है कि आखिर वीडियो वायरल नहीं होता तो क्या आज इस पर एक्शन लिया जाता। मणिपुर में लगभग पिछले तीन महीनों से इंटरनेट बंद है और कितने घटनाएं हुई होगी जो अब तक बाहर नहीं आ पाई हैं।
आखिर मणिपुर में हिंसा क्यों ?
19 अप्रैल को मणिपुर के हाईकोर्ट द्वारा 10 साल पुरानी सिफारिश को लागू करने पर विचार हेतु राज्य सरकार को कहा गया।
इसके बाद हिंसा शुरू हो गई, वहीं 27 – 28 अप्रैल को हिंसा में मुख्य तौर पर कुकी आदिवासी और पुलिस आमने-सामने आ गए जिसमें 4 लोगों की मौत हो गई जिसके कारण हिंसा और उग्र हो गया।
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक हिंसा में अब तक लगभग 150 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी हैं। दरअसल सिफारिश में कहा गया था कि मणिपुर में रहने वाले मैतई समुदायों को अनुसूचित जनजाति के कैटेगिरी में रखा जाए। मणिपुर में लगभग 33 लाख आबादी है जिनमें 55% मैतई समुदाय है जिनमें ज्यादातर हिंदू है और वहीं 43% कुकी समुदाय जिनमें मुस्लिम ईसाई और कई धर्मों के लोग आते हैं।
कुकी समुदाय का मानना है कि राज्य में 55% मैतई समुदाय के लोगों को अल्पसंख्यक का दर्जा देना गलत है इसलिए वो इस फैसले का विरोध जता रहे हैं। आरक्षण पर मणिपुर हाईकोर्ट के द्वारा दिया गया फैसला अब सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
हिंसा बढ़ने में फेक न्यूज़ की अहम भूमिका।
दरअसल खबर फैलाई गई कि कुकी आदिवासियों ने मैतई समुदाय से आने वाले औरतों को मार दिया गया है जिसके बाद कुकी समुदाय के लोगों ने खुले मैदान में आदिवासियों की औरतों के साथ गैंगरेप किया और नग्न कर पूरे गांव में घुमाया।
वीडियो वायरल होने के बाद सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया
जहां एक पक्ष घटना की कड़ी निंदा करते हुए मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग कर रहा है तो वही दूसरा पक्ष राजस्थान, बंगाल छत्तीसगढ़ राज्य में महिलाओं के साथ हुए घटना को जोड़ कर देख रहा है। कुछ सरकारी पत्रकार ने तो साहब को बुरा न लगे और लोगों में अपनी छवि बनी रहे इसलिए घटना की निंदा तो किया लेकिन राजस्थान में जहां कांग्रेस की सरकार है वहां महिलाओं के साथ सबसे ज्यादा अपराध होने के भी दावे कर रहे हैं। सोशल मीडिया पर किसी भी तरह इस घटना को दबाने के लिए बीजेपी आईटी सेल और चाटुकार पत्रकार को लगा दिया गया है।
कुछ अहम सवाल:-
सबसे बड़ा सवाल है कि अबतक 79 दिनों बाद भी सारे आरोपियों की गिरफ्तारी क्यों नहीं हुई?
2.5 महीनों से ज्यादा दिनों से हिंसा होने के बावजूद भी प्रधानमंत्री ने अब तक क्यों नहीं संज्ञान लिया था?
क्या राज्य सरकार नए आरक्षण कानून को रद्द कर 150 लोगों की जान नहीं बचा सकती थी?
क्या सुप्रीम कोर्ट को घटना की याद तब भी आई जब यह वीडियो वायरल हुआ पहले भी कोर्ट स्वत संज्ञान ले सकता था?
क्या अब भी मणिपुर के मुख्यमंत्री को नैतिक तौर पर इस्तीफा नहीं देना चाहिए?
क्या अब भी रेप जैसे घिनौने अपराध को लेकर कानून को सही तरीके से लागू करने की जरूरत नहीं है?
रेप पीड़िता और उसके पति का बयान
द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए पीड़ित महिला जिसकी उम्र 20 साल थी उसने आरोप लगाया कि पुलिस उस भीड़ के साथ थी और जो हमारे गांव पर हमला कर रही थी पुलिस ने हमें घर से उठाया और गांव से थोड़ी दूर जाकर भीड़ के साथ सड़क पर छोड़ दिया। महिला के भाई और पिता को भीड़ ने पहले ही मार दिया था।
पीड़ित महिला के पति ने कहा कि मैंने कारगिल में देश की रक्षा की लेकिन अपनी पत्नी की रक्षा नहीं कर पाया।