Kerela High Court: ‘पुरुषों को लॉक करें क्योंकि वो परेशानी पैदा करते हैं, महिलाओं को आजाद घूमने दें’

केरल हाई कोर्ट (Kerela High Court) ने गुरुवार (22 दिसंबर) को कहा कि हॉस्टल जेल नहीं हैं। हाई कोर्ट ने राज्य के सभी मेडिकल कॉलेजों को सरकार के नए आदेश का पालन करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने यह भी कहा कि छात्र और छात्राओं को समान संवैधानिक अधिकार प्राप्त हैं और हॉस्टल में भी लड़कों और लड़कियों के लिए सभी नियम और कानून समान होंगे। कोर्ट ने कहा कि पुरुषों को लॉक करें क्योंकि वो परेशानी पैदा करते हैं, महिलाओं को आजाद घूमने दें।

Kozhikode Medical College Hospital की छात्राओं ने खटखटाया था अदालत का दरवाजा

दरअसल, कोझिकोड मेडिकल कॉलेज अस्पताल की छात्राओं ने पिछले महीने उच्च शिक्षा विभाग द्वारा रात साढ़े नौ बजे के बाद छात्रावास से बाहर जाने पर रोक लगाने वाली अधिसूचना पर सवाल उठाते हुए अदालत का दरवाजा खटखटाया था। उन्होंने कहा कि रात 9.30 बजे के बाद लड़कियों के लिए कर्फ्यू लगा दिया गया जबकि लड़कों के लिए कोई प्रतिबंध नहीं था।

छात्राओं को रात 9:30 बजे के बाद हॉस्टल से बाहर जाने पर रोक लगाने वाले आदेश को खारिज करने की मांग वाली याचिका को केरल हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। अदालत ने कहा, “एक आदर्श समाज में लड़कियों और महिलाओं को किसी भी समय सड़कों पर चलने की आजादी होनी चाहिए, चाहे वह दिन हो या रात।

लड़कियों के संवैधानिक अधिकार (Constitutional Rights)
याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस देवन रामचंद्रन ने कहा, ”लड़कियों के संवैधानिक अधिकार हैं, शायद लड़कों से भी ज्यादा। उन पर इस तरह भेदभावपूर्ण प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता। छात्रावास जेल नहीं हैं।” न्यायाधीश ने कहा, लड़कों को बंद करो क्योंकि वे परेशानी पैदा करते हैं। महिलाओं को आज़ाद घूमने दो।” केरल हाई कोर्ट ने सभी मेडिकल कॉलेजों के प्राचार्यों को सरकार द्वारा 6 दिसंबर 2022 को जारी नए आदेश का पालन करने का भी निर्देश दिया। जिसके मुताबिक, कुछ मौजूदा मानदंडों में ढील दी गई थी और छात्रों को निर्धारित समय के बाद कुछ शर्तों के साथ छात्रावास में प्रवेश करने की छूट दी गई थी।

केरल हाई कोर्ट ने 20 दिसंबर, 2022 को जारी अंतिम अंतरिम आदेश की पुष्टि करते हुए कहा, “सरकार के आदेश के अनुसार लड़कियों और लड़कों दोनों के हॉस्टल के गेट बंद करने का समय अब रात 9:30 बजे है। अगर किसी छात्र को गेट बंद होने के बाद हॉस्टल से बाहर जाने की जरूरत होती है, तो वह वार्डन या प्रभारी संकाय से अनुमति लेकर ऐसा कर सकता है।”

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