डिजिटल रेप में 65 साल के बुजुर्ग को उम्रकैद:3 साल की बच्ची से की थी दरिंदगी, 4 साल चली सुनवाई; 8 गवाह पेश हुए

ग्रेटर नोएडा में तीन साल की बच्ची से डिजिटल रेप करने वाले अकबर अली (65) को जिला न्यायालय ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। साथ ही, 50 हजार रुपए जुर्माना भी लगाया है। 2019 में नोएडा में अकबर ने एक बच्ची को टॉफी का लालच देकर दरिंदगी की थी। अपर सत्र न्यायाधीश अनिल कुमार सिंह ने अकबर को दोषी मानते हुए सजा सुनाई।

ग्रेटर नोएडा में तीन साल की बच्ची से डिजिटल रेप करने वाले अकबर अली (65) को जिला न्यायालय ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। साथ ही, 50 हजार रुपए जुर्माना भी लगाया है। 2019 में नोएडा में अकबर ने एक बच्ची को टॉफी का लालच देकर दरिंदगी की थी। अपर सत्र न्यायाधीश अनिल कुमार सिंह ने अकबर को दोषी मानते हुए सजा सुनाई।

जिला शासकीय अधिवक्ता नीटू विश्नोई ने बताया 21 जनवरी 2019 को अकबर अली ने नाबालिग से डिजिटल रेप किया था। अकबर मूल रूप से पश्चिम बंगाल का रहने वाला है। घटना के दौरान वह नोएडा के सदरपुर में रह रहा था। दावा किया जा रहा है कि डिजिटल रेप के मामले में मिली सजा देश की पहली घटना है।पीड़िता के परिजनों की शिकायत पर थाना सेक्टर 39 पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज की और चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की। मामले की सुनवाई के दौरान कुल आठ गवाह पेश हुए। गवाह एवं साक्ष्यों के आधार पर कोर्ट ने अकबर अली को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई।

सबसे पहले जानिए क्या होता है डिजिटल रेप?
लोग अक्सर डिजिटल रेप की गलत व्याख्या करते हैं। आम धारणा है कि डिजिटल प्लेटफॉर्म पर नेकेड तस्वीरें या वीडियो के जरिए ऐसा होता है। हालांकि ये सही नहीं है। डिजिटल रेप का मतलब रिप्रोडक्टिव आर्गन के अलावा किसी अंग या ऑब्जेक्ट जैसे उंगलियां, अंगूठा या किसी वस्तु का यूज करके जबरन सेक्स करना है। अंग्रेजी में डिजिट का मतलब अंक होता है। साथ ही उंगली, अंगूठा, पैर की उंगली जैसे शरीर के अंगों को भी डिजिट से संबोधित किया जाता हैं। मतलब, जो यौन उत्पीड़न डिजिट से किया गया हो, तब उसे डिजिटल रेप कहा जाता है।

रेप से कितना अलग है डिजिटल रेप?
रेप और डिजिटल रेप में सीधा फर्क है रिप्रोडक्टिव आर्गन के इस्तेमाल का। हालांकि, कानून की नजर में रेप और डिजिटल रेप में कोई फर्क नहीं। 2012 से पहले डिजिटल रेप छेड़छाड़ के दायरे में था, लेकिन निर्भया केस के बाद इसे रेप की कैटेगरी में जोड़ा गया।
दिसंबर 2012 में दिल्ली में निर्भया केस के बाद यौन हिंसा से जुड़े कानूनों की समीक्षा की गई थी। भारत के पूर्व चीफ जस्टिस मुख्य न्यायाधीश जस्टिस वर्मा की अध्यक्षता वाली कमेटी ने सुझाव दिए। इनमें से कई को अपनाते हुए दशकों पुराने कानून को बदला गया। 2013 में रेप की परिभाषा को फोर्स्ड पीनो-वजाइनल पेनिट्रेशन से बढ़ाया गया। नई परिभाषा के मुताबिक, महिला के शरीर में किसी भी चीज या शारीरिक अंग को जबरदस्ती डालना रेप माना गया।

1. दो साल की मासूम से डिजिटल रेप
मुंबई में खून से लथपथ 2 साल की मासूम को अस्पताल लाया गया। जांच के बाद डॉक्टरों ने पाया कि उसके वजाइना में उंगलियों के निशान मिले। हालांकि, इस दौरान यौन उत्पीड़न या रेप के कोई संकेत नहीं मिले थे। बाद में पता चला कि उसका पिता ही बच्ची के साथ ऐसी हरकत करता था। इसके बाद उस व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया गया, लेकिन उसे IPC के सेक्शन 376 के तहत दंडित या आरोपित नहीं किया गया जो रेप से संबंधित है।

2. 60 साल की महिला से डिजिटल रेप
दिल्ली में हुई एक अन्य घटना में एक ऑटो रिक्शा ड्राइवर ने एक 60 वर्षीय महिला के साथ डिजिटल रेप किया। 60 वर्षीय महिला अपने एक रिश्तेदार के यहां ऑटो में बैठकर शादी समारोह में शामिल होने जा रही थी। इस दौरान ऑटो ड्राइवर ने महिला के वजाइना में आयरन रॉड डाल दी थी। एक बार फिर से ड्राइवर को तो गिरफ्तार किया गया, लेकिन IPC के सेक्शन 376 के तहत उसे दोषी नहीं ठहराया गया।

IPC के सेक्शन 376 की खामियां उजागर होने के बाद इसमें बदलाव किया गया
मुंबई और दिल्ली में हुई इन 2 डिजिटल रेप की घटनाओं ने IPC के सेक्शन 376 की खामियों को उजागर किया जो रेप के अपराधों से संबंधित हैं; क्योंकि डिजिटल रेप के तहत हुए अपराध में जिसमें मूल रूप से उंगलियों या किसी बाहरी वस्तु या मानव शरीर के किसी अन्य हिस्से का यूज कर महिला की गरिमा के साथ खिलवाड़ किया गया था, लेकिन इसे किसी भी सेक्शन के तहत अपराध नहीं माना गया। इसी के बाद रेप की परिभाषा में बदलाव कर डिजिटल रेप को भी इसमें शामिल किया।

अब नोएडा में हुए डिजिटल रेप के बारे में जानिए
नोएडा पुलिस ने 81 साल के स्केच आर्टिस्ट को 17 साल की नाबालिग युवती के साथ डिजिटल रेप के आरोप में गिरफ्तार किया है। डिजिटल रेप करने वाला मौरिस राइडर मूल रूप से प्रयागराज का रहने वाला है और कई सालों से नोएडा में रह रहा है। पुलिस ने बताया कि पीड़ित युवती शुरू में शिकायत दर्ज कराने से डरती थी, लेकिन फिर उसने आरोपी के यौन संबंधों को रिकॉर्ड करना शुरू कर दिया और बड़े पैमाने पर सबूत एकत्र किए। इसके बाद उसने इसकी जानकारी अपने पेरेंट्स का दी। पेरेंट्स की शिकायत पर पुलिस ने डिजिटल रेप का मामला दर्ज किया। आरोपी उंगलियों के जरिए पीड़िता का यौन उत्पीड़न करता था।

आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है
IPC के सेक्शन 376 में के तहत मुताबिक, डिजिटल रेप का दोषी पाए जाने पर किसी व्यक्ति को 5 साल की सजा हो सकती है। कुछ मामलों में यह सजा 10 साल या आजीवन कारावास भी हो सकता है।

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