पहले ही दिन एक्शन में दिखे CJI यूयू ललित, एक दिन में सुने 592 मामले, इन मामलों पर भी जल्द होगी सुनवाई

देश के 49वें चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के रूप में यूयू ललित ने हाल ही में अपना पदभार संभाला है. इसी के साथ उन्होंने इंसाफ की उम्मीदों को मिलने वाली तारीखों को कम करने का उदाहरण भी पेश कर दिया है. CJI यूयू ललित के काम के पहले ही दिन सुप्रीम कोर्ट में 592 मामलों की सुनवाई हुई. बीते एक साल में एक दिन में सुने गए ये अब तक के सबसे ज्यादा केस बताए जा रहे हैं. इसी के साथ यह भी संभावना जताई जा रही है कि आने वाले दिनों में ही सुप्रीम कोर्ट में लंबित पड़े कई हाईप्रोफाइल और संवेदनशील मामलों का निपटारा करने की दिशा में अहम कदम उठाए जाएंगे.

एक दिन में हुई 592 मामलों की सुनवाई
सोमवार के लिए 900 केस लिस्ट किए गए थे. इसमें से 592 मामलों पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. बताया जा रहा है कि बीते एक साल में यह पहली बार है जब फाइल किए जाने के बाद एक दिन में इतने ज्यादा मामलों की सुनवाई की गई हो. इन मामलों में से ज्यादातर जनहित याचिकाएं थीं. इनमें राफेल डील से लेकर कर्नाटक का हिजाब विवाद भी शामिल था.आने वाले दिनों में भी कई अहम और संवेदनशील लंबित मामलों पर सुनवाई तेज हो सकती है.

सही समय पर इंसाफ मिले, इसके लिए बनेगा नया सिस्टम चीफ जस्टिस उदय उमेश ललित ने सोमवार को कहा कि लंबित पड़े मामलों को प्राथमिकता के आधार पर सूचीबद्ध करने के लिए जल्द ही एक नया सिस्टम विकसित किया जाएगा. उन्होंने सभी वकीलों से भी कहा कि वे अपने मामलों की जल्द से जल्द सुनवाई के लिए रजिस्ट्रार के सामने मेंशनिंग करें. उन्होंने गुरुवार तक ही नए औऱ पारदर्शी सिस्टम के सामने होने का भरोसा दिलाया है. उन्होंने कहा उनके नेतृत्व में सभी मुख्य कोर्ट की प्राथमिकता ये रहेगी कि जल्द से जल्द लंबित मामलों की सुनवाई हो और हर दिन अधिकतम मामले निपटाए जा सकें.

CJI यूयू ललित ने बताई थीं ये 3 प्राथमिकताएं
 पिछले हफ्ते शुक्रवार को पूर्व सीजेआई एनवी रमणा को विदाई देने के दौरान नए सीजेआई जस्टिस यूयू ललित ने कहा था कि वह अपने 74 दिनों के कार्यकाल के दौरान तीन क्षेत्रों में अधिक फोकस करेंगे. 

1. उनकी पहली प्राथमिकता कोर्ट में दाखिल केस के लिस्टिंग सिस्टम (सुनवाई के लिए तारीख लगने की प्रकिया) को ज़्यादा से ज़्यादा पारदर्शी बनाना रहेगा. 

2. ऐसी व्यवस्था बनाई जाएगी, जिसमें वकील केस की जल्द सुनवाई को लेकर संबंधित बेंच के सामने मांग रख सकेंगे. दूसरे शब्दों में कहें तो वकीलों की भूमिका बढ़ाई जाएगी.

3. जस्टिस ललित ने कहा था कि संवैधानिक मामलों की सुनवाई के लिए पूरे साल कम से कम एक संविधान पीठ काम करेगी.

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