
संविधान के प्रथम अनुच्छेद में कहा गया है कि भारत राज्यों का एक संग होगा, यूनाइटेड नेशन में रजिस्टर 1993 देशों में 25 ऐसे देश है जहां संघीय ढांचा को अपनाया गया है। संघीय ढांचा का मतलब होता है राज्य और केंद्र के बीच शक्तियों का बंटवारा जिससे कि वो अपने फैसले और नीतियां बनाने में एक – दूसरे के कार्यक्षेत्रों में हस्तक्षेप ना करें। अगर भारत में बात की जाए तो भारत राज्यों का संघ है जिसमें 28 राज्य और 8 केंद्र शासित प्रदेश हैं। अब हम हाल ही हुए आईएएस कैडर रूल्स से जुड़े विवादों के बारे में बता दें जैसा कि आप सभी ने कुछ दिनों से अखबार, न्यूज़पेपर, न्यूज़चैनलों में देखा होगा जहां राजनीतिक पार्टी का नरेंद्र मोदी/ केंद्र सरकार पर आरोप लगा रही है कि केंद्र असंवैधानिक तरीके से संघीय ढांचा को परिवर्तित करने की कोशिश कर रही है। दरअसल विवादों की शुरुआत तब हुई जब 20 अक्टूबर 2021 को कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DOPT) सभी राज्यों को खत लिखती है और आईएएस कैडर रूल्स 1954 6(1) में बदलाव का जिक्र करते हुए अपना सुझाव देने का अनुरोध करती है। नए आईएस रूल्स 1954 6(1) के तहत अब केंद्र सरकार राज्यों के इनकार के बावजूद भी भारतीय प्रशासनिक सेवा में तैनात किसी भी अधिकारी को केंद्र में नियुक्त कर सकती है।
आईएएस कैडर न्यू रूल्स 2022
1.पुराने नियम के अनुसार केंद्र आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अधिकारियों को राज्यों से सलाह – मशवरा करने के बाद ही केंद्र में सचिव, सलाहकार, डायरेक्टर या किसी खास प्रोजेक्ट के निर्देशक के तौर पर नियुक्त करती थी लेकिन नए रूल्स आने के बाद अगर राज्य सरकार उस अधिकारी को केंद्र में जाने की अनुमति ना दे फिर भी केंद्र सरकार एक किस समय सीमा के अंदर उस अधिकारी को केंद्र में नियुक्त कर सकती है।
2. नए रूल्स के अनुसार के राज्यों को 40% प्रशासनिक अधिकारियों को केंद्र में प्रतिनियुक्ति पर भेजने का आदेश देना पड़ेगा।
3. आईएएस कैडर रूल्स 1954 6(2) के तहत अगर कोई अधिकारी केंद्र में प्रतिनियुक्ति नहीं होना चाहे तो उसे उसके इच्छा के विरुद्ध नहीं भेजा जा सकता है. यह नियम पहले भी थे और नए रुल्स में भी कायम है।
केंद्र सरकार का पक्ष ने रूस को लेकर..
हमारे पास ऑफिसर की कमी पड़ रही है, हमारे पास (केंद्र सरकार) के विभिन्न मंत्रालयों में अधिकारियों की कमी पड़ रही है जो अपने कार्यक्षेत्रों में खासा अनुभव रखते हैं। कैडर रूल्स के अनुसार सभी कैडर से अधिकतम 40% अधिकारियों को केंद्र प्रतिनियुक्त कर सकता है लेकिन 2021 तक सिर्फ 25 फ़ीसदी अधिकारि ही केंद्र में प्रतिनियुक्ति हुए हैं वहीं 2021 में यह आंकड़ा घटकर सिर्फ 18% पर आ गया, पूरे देश में अब तक 5,200 आईएएस अधिकारी नियुक्त हुए जिसमें सिर्फ 458 अधिकारी केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर है।
नए रूल्स को लेकर विपक्ष का आरोप..
विपक्ष का मानना यह है कि अगर सरकार इस नए रूल्स को लागू कर देती है तो यह संघीय ढांचे पर प्रहार होगा क्योंकि केंद्र अपने मन – मुताबिक किसी भी अधिकारी को केंद्र में प्रतिनियुक्त कर देगी जिससे कि कानून व्यवस्था, भ्रष्टाचार और केंद्र राज्यों के कामकाज में दखल दे सकता है, एक उदाहरण से समझिए अगर कोई आईएएस, आईएफएस, आईपीएस अधिकारी किसी खास प्रोजेक्ट पर काम कर रहा हो और उसी वक्त राजनीतिक पार्टियां अपने फायदे के लिए उस आईएएस अधिकारी को केंद्रिय प्रतिनियुक्ति पर बुला ले तो मजबूरन उस अधिकारी को जाना ही होगा लेकिन जो नए अधिकारी उस प्रोजेक्ट या खास पद को ग्रहण करेंगे उन्हें इस प्रोजेक्ट को समझने और जमीनी स्तर पर लागू करने के लिए लगभग डेढ़ से दोगुना समय ज्यादा लगेगा जिससे कि समय के साथ राज्य को राजकोषीय नुकसान भी उठाना पड़ेगा।
राजनीतिक फायदे के लिए पूर्व में हुई घटनाएं।
लोकसभा चुनाव 2019 से ठीक 1 महीने पहले पश्चिम बंगाल के आईपीएस अधिकारी राजिव कुमार जो ममता बनर्जी के करीबी बताए जाते रहे हैं उनके घर सीबीआई उन्हें चिटफंड मामले में गिरफ्तार करने जाती है लेकिन कोलकाता पुलिस द्वारा सीबीआई को ही हिरासत में ले लिया जाता है बताया जाता है सीबीआई ने प्रोटोकॉल नहीं फॉलो किया। फिर क्या था अब केंद्र उस आईपीएस को केंद्र में प्रतिनियुक्त के लिए आदेश देता है लेकिन पुराने रूल्स आईएएस कैडर 1954 6(1) के तहत अगर राज्य मना कर दे या कोई उत्तर ना दे तो फिर उस अधिकारी की प्रतिनियुक्ति केंद्र में नहीं हो सकती थी
बंगाल विधानसभा चुनाव 2021 में जब डायमंड हर्बल में रैली के दौरान बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के कार्य के कार्यक्रम में हंगामा, तोड़फोड़ हुई तो फिर अगले ही दिन गृह मंत्रालय ने प्रशासनिक सेवा में तैनात अधिकारियों को केंद्र में प्रतिनियुक्त (Deputation) होने का आदेश से संबंधित पत्र राज्य को भेजी, लेकिन यहाँ भी राज्य ने आदेश मानने से इनकार कर दिया।
इससे संघवादी प्रणाली पर क्या असर पड़ेगा?
नए आईएएस कैडर रूल्स लाने से केंद्र और राज्य सरकार के बीच मतभेद बढ़ना तय है क्योंकि इससे केंद्र का हस्तक्षेप राज्य के अधिकार को कम कर सकता है, ऐसा हमेशा देखा गया है चाहे बीजेपी सरकार हो या कांग्रेस की सबने अपने फायदे के लिए आईएएस, आईपीएस की बदली या केंद्र में प्रतिनियुक्ति करते आए हैं। भारत में तीन स्तरों पर संघीय ढांचा काम करती है केंद्र स्तर, राज्य स्तर, और क्षेत्रीय स्तर। सारे स्तरों में कार्यक्षेत्रों के अनुसार शक्तियां प्रदान की गई है जिससे कि कोई एक दूसरे के कार्यप्रणाली में दखलअंदाजी ना कर सके।
आज के परिदृश्य में देखा जाए तो भारत एक अर्ध संघीय ढांचा है क्योंकि यहां अमेरिका की तरह संघीय व्यवस्था नहीं है. आजादी के वक्त जब भारत में सारे रियासत इंस्ट्रूमेंट ऑफ एक्सेशन ( IOA) पर हस्तान्तरण कर भारत में विलय हुए उस वक्त सिर्फ बिदेश नीति, रक्षा नीति और दूरसंचार नीति से जुड़े मंत्रालय ही केंद्र के हाथों में थी लेकिन आज लगभग 100 से ज्यादा विषयों से जुड़े मंत्रालय केंद्र के पास है कहने का सीधा मतलब है जैसे-जैसे संविधान बनने के वर्षों बीत रहे वैसे – वैसे हमारा संघीय ढांचा कमजोर होते जा रहा है, उदाहरण के तौर पर नए कृषि कानून 2020 को देखिए, कृषि से जुड़े किसी मुद्दे पर कानून बनाने का अधिकार राज्य के पास है लेकिन केंद्र ने व्यवसाय कानून से जोड़कर कृषि कानून पेश कर दिया जो वाकई में संघीय ढांचा को नुकसान पहुंचाता है।
मेरा मानना है कि केंद्र सरकार हो या राज्य सरकार किसी को एक दूसरे के कार्य क्षेत्रों में दखल नहीं देना चाहिए क्योंकि लोकतंत्र में संघीय ढांचा के एक महत्वपूर्ण भूमिका है। आपलोग नए आईएएस कैडर रुल्स के बारे में क्या सोचते क्या हैं जरूर बताइए।