सुशांत की मौत पर रिया का मीडिया ट्रायल..

बॉलीवुड के सुपरस्टार सुशांत सिंह राजपूत की मौत 14 जून को हुई थी इसके पूर्व सुशांत की मैनेजर दिशा सालियन 8 जून को 14:00 में फ्लोर से कूदकर आत्महत्या कर ली थी मौत के हजारों कयास लगाए जाते हैं, कोई जहर देने की बात कर रहा था तो कोई डिप्रेशन में जाने के कारण आत्महत्या करने की बात कर रहा था पहले 1 महीने तक तो नेपोटिज्म पर बहस होती है सारे मीडिया चैनलों से लेकर सोशल मीडिया तक नेपोटिज्म पर बहस होने लगती है सोशल मीडिया पर करीब 10 करोड़ से ज्यादा बार #nepotism ट्रेंड किया जाता है जैसे लगता हैं नेपोटिज्म की बाढ़ सी आ गई हो जिसको नेपोटिज्म का N नहीं मालूम वो भी नेपोटिज्म ट्रेंड करवाने लगता है..

पहले जान लेते हैं, नेपोटिज्म किस चिड़िया का नाम है.. इस शब्द का हिंदी में मतलब भाई-भतीजावाद होता है नेपोटिज्म दोस्तवाद के बाद आने वाली एक राजनीतिक शब्दावली है जिसमें योग्यता को नजरअंदाज करके अयोग्य परिजनों को उच्च पदों पर आसीन का दिया जाता है नेपोटिज्म शब्द की उत्पत्ति 17वीं सदी में कैथोलिक पोप और विशप द्वारा अपने परिजनों को उच्च पदों पर आसीन कर देने से हुई है.. न्यूज़ डिबेट से लेकर बॉलीवुड इंडस्ट्री तक इसकी चर्चा जोर पकड़ लेती है बड़े-बड़े फिल्म स्टार, फिल्म निर्देशक, प्रोड्यूसर सबको एक तरह से ऐसे दिखाया गया जैसे इन्होंने सुशांत की हत्या की हो, महेश भट्ट, करण जोहर, एकता कपूर और आलिया भट्ट इत्यादि को दोषी ठहराया जाता है..

कुछ चुनिंदा न्यूज़ चैनल पिछले 2 महीने से रोज शाम इसी बात पर डिबेट करवा रहे हैं सुशांत को किसने मारा और रिया को सजा कब❓ पहले तो नेपोटिज्म की बात चल रही थी जब सुशांत के पिता का बयान आता है तो सुशांत की मौत के जिम्मेदार उसकी गर्लफ्रेंड रिया चक्रवर्ती को ठहराया जाता है उसके बाद सारी मीडिया की हेडलाइन से लेकर ब्रेकिंग न्यूज़ सुशांत की खबरें चलने लगती है, लगता है पिछले 2 महीने से पूरे भारत में इसके अलावा दूसरा कोई घटना ही नहीं हुई, सोते-जागते सुशांत की मौत पर ब्रेकिंग न्यूज़ मीडिया खुब अपनी टीआरपी बटोरती है हद तो तब हो जाती है जब कुछ न्यूज़ चैनल बिना किसी प्रमाण के सुशांत कि मैनेजर दिशा शालियान की मौत होने की वजह रेप बताता है.. तब मुंबई पुलिस दिशा शालियान की पोस्टमार्टम रिपोर्ट जारी करती है जिसमें रेप का कोई जिक्र नहीं होता है
दिशा शालियान की मां ए. एन. आई. (ANI) से बात करते हुए भावुक हो जाती है और बोलती है मुझे बार-बार दिशा के रेप से जूड़े सवाल पूछे जा रहे हैं जो रेप हुआ ही नहीं था..आप इसी बात से अंदाजा लगा लीजिए कि एक मां को अपनी मरणोपरांत बेटी की इज्जत बचाने के लिए पोस्टमार्टम कांपी का सहारा लेना पड़ रहा है


सुशांत के पिता के.के सिंह 29 जुलाई को मीडिया के सामने आकर बयान देते हैं कि रिया चक्रवर्ती सुशांत की मृत्यु का कारण है, तब सारी मीडिया की हेडलाइन रिया चक्रवर्ती को दोषी ठहराने लगता है ऐसा पहले भी कितनी बार हो चुका है जब किसी को मीडिया ने दोषी ठहरा दिया हो उसके बाद वह निर्दोष पाया गया हो, .. सवाल यह है कि क्या मीडिया के पास इतनी छूट है वह किसी को सजा सुना दे और दोषी ठहरा दे वो भी अपनी बनाई हुई स्टोरी के आधार पर फिर तो विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका की जरूरत ही नहीं होगी अपने देश में.. ना मैं रिया चक्रवर्ती का पक्षधर हूं ना सुशांत का विरोधी, मेरा सवाल बस इतना सा है कि अगर रिया चक्रवर्ती जांच में निर्दोष पायी जाती है तो क्या पूरी मीडिया संस्थान माँफी मांगेगी, सुशांत केस को अपने-अपने फायदे के हिसाब से राजनीतिक पार्टीयां इस्तेमाल करती है जैसे कि आप सबने देखा होगा कि बिहार के एक आईपीएस ऑफिसर को मुंबई में क्वॉरेंटाइन किया जाता है, ऐसा देखने को पहली बार मिला हो कि किसी आईपीएस ऑफिसर को ड्यूटी के दौरान क्वॉरेंटाइन कर लिया गया हो , इसका कारण यह है कि शिवसेना सरकार को लगता है कि बिहार में इस केस का चुनावी मुद्दा बनाकर बिजेपी चुनाव में फायदा उठा सकती है इसलिए उन्होंने आईपीएस को क्वॉरेंटाइन करवा देती है

तब बिहार सरकार के डीजीपी (गुप्तेश्वर पांडे) टीवी पर आकर रिया चक्रवर्ती की औकात याद दिलाने की बात करते हैं, आज तक टीवी के इतिहास में कभी ऐसा नहीं हुआ है किसी राज्य के डीजीपी लगातार सात दिन तक न्यूज़ चैनल पर इंटरव्यू और प्राइम टाइम का हिस्सा बने वो भी तब, जब उसके खुद के राज्य (बिहार) में बाढ़, हास्पिटल में वेंटिलेटर कि कमी से लोगों कि जान जा रही हो, काश वे ऐसे मुद्दे पे ध्यान देना उचित समझे होते, आप समझीए इस चीज को अगर बिहार के डीजीपी इतने ईमानदार और अपने काम के प्रति सजग रहते तो नवरुणा केस को सुलझा लिए रहते, 2012 में बिहार के  मुजफ्फरपुर में 14 साल की लड़की नवरुणा गायब हो जाती है उस वक्त बिहार के डीजीपी गुप्तेश्वर पांडे मुजफ्फरपुर के आईपीएस ऑफिसर रहते हैं, उस वक्त स्थानीय अखबार में छपे लेख के अनुसार गुप्तेश्वर पांडे इस केस को राजनीति और अपनी महत्वाकांक्षाओ को पुर्ति करने के लिए दबा देते हैं..    सवाल है कि क्या वाकई में सरकार चाहती है सुशांत को न्याय मिले या सिर्फ चुनावी मुद्दा है क्योंकि अगले दो महीने बाद बिहार में चुनाव होने वाले है और सुशांत सिंह बिहार के पूर्णिया जिले के रहने वाले थे…

2 दिन पहले यानी 27 जुलाई को रिया चक्रवर्ती एक न्यूज़ चैनल को इंटरव्यू देती है, उसके बाद कुछ बड़े सेलिब्रिटी और नामचीन पत्रकार उस न्यूज़ चैनल का बॉयकट करवाने के लिए डिबेट/टिवी शो करते हैं और ट्विटर पर लगातार #boycottnewschannel ट्रेंड करवाये जाते हैं अगले कुछ घंटों में लाखों की संख्या में लोग इस चैनल का बहिष्कार करने पे आमादा हो जाते है .. सवाल है कि क्या वास्तविकता में लोग उस न्यूज़ चैनल का बॉयकॉट करना चाहते हैं या कुछ न्यूज़ चैनल या कुछ संस्था के द्वारा ऐसे मैनिपुलेट करके बातों को दर्शाया जाता है कि लोग भावुक होकर किसी काम को करने पर आमादा हो जाते हैं
पूरे भारत में कोविड-19 की संख्या लगभग 34 लाख के पार हो गई है और 62000 से ज्यादा लोगों की मृत्यु हो गई है इस मुद्दे पर बात होनी चाहिए थी राज्यों को जीएसटी कलेक्शन का 14 परसेंट कंपनसेशन नहीं मिल पा रहा है जिसके कारण वह अपनी कोविड-19 या दूसरे जरूरी कामों पे पैसा खर्च नहीं कर पा रहे हैं..
जहां तक कुछ मीडिया चैनलों का कहना है कि सुशांत बिहार के रहने वाले थे इसलिए उनके साथ ऐसा हुआ तो मैं बता दूं बिहार में लाखों की संख्या में ऐसे सुशांत हर रोज मरते हैं.. याहां सरकारी नौकरी की बात करें तो 10000 की वैकेंसी में एक करोड़ लोग फॉर्म भरते हैं अगर दो-तीन सालों में रिजल्ट आ भी गयी तो आधी जिंदगी दफ्तर के चक्कर लगाने में खत्म हो जाती है..

बिहार में बाढ़ के कारण 84 लाख लोग प्रभावित हैं और हॉस्पिटल की बात करें तो 12 करोड़ की आबादी वाले इस राज्य में सिर्फ 350-400 वेंटिलेटर है इस पे डिबेट होनी चाहिए थी, सरकार और मीडिया को इस पर भी ध्यान देने की जरूरत है, मैं उम्मीद करता हूं कि सुशांत को न्याय मिलेगा कहीं ऐसा ना हो कि एक्ट्रेस जिया खान की केस की तरह भी ये भी एक मिस्त्री बन जाए..

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