59 चाइनीज ऐप्स पर बैन / सरकार 3 साल से जानती थी कि चीन के इन ऐप्स से खतरा है, पर गलवान की झड़प के 14 दिन बाद चुनावी मैसेज देने के लिए सख्ती दिखाई

चीन के सरकारी मीडिया ने कहा- इस फैसले से उन भारतीय कंपनियों पर असर पड़ेगा, जिनमें चीन से इन्वेस्टमेंट आया है

1. पहले बात सरकार की: आखिर इन ऐप्स पर बैन कैसे लगा?
2000 में बने आईटी कानून में एक धारा है- 69A। यह धारा कहती है कि देश की सम्प्रभुता, सुरक्षा और एकता के हित में अगर सरकार को लगता है, तो वह किसी भी कम्प्यूटर रिसोर्स को आम लोगों के लिए ब्लॉक कर देने का ऑर्डर दे सकती है। यह धारा कहती है कि अगर सरकार का ऑर्डर नहीं माना गया, तो सात साल तक की सजा हो सकती है और जुर्माना भी लगाया जा सकता है। 59 ऐप्स पर इसी धारा के तहत बैन लगाया गया है।

2. अब यूजर की बात: सरकार की दलीलों के अलावा ऐसे समझिए कि आपको चाइनीज ऐप्स से खतरा क्यों था?
ऐप कंपनियां यूजर से फोन बुक, लोकेशन, वीडियो का एक्सेस ले लेती हैं। उसके बाद वे यूजर की हर एक्टिविटी को ट्रैक करती हैं और उसका डेटा रखना शुरू कर देती हैं। यूजर की आर्थिक क्षमता और खरीदने का पैटर्न समझकर प्रोफाइलिंग की जाती है। यह डेटा चीनी सरकार से भी साझा होता है, जब डेटा चीन के पास पहुंचता है, तो वहां की सरकार को भारत के बाजार के हिसाब से स्ट्रैटजी बनाने में मदद मिलती है। ज्यादातर चाइनीज ऐप्स के सर्वर भारत में नहीं, बल्कि चीन में होते हैं। इसलिए हमेशा से यह बड़ा सवाल बना रहता है कि यूजर की प्राइवेसी कितनी सेफ है?

3.नामी ऐप्स कौन-से हैं, जिन पर बैन लगा है?
इनमें टिक टॉक और लाइकी जैसे एंटरटेनमेंट ऐप्स हैं। हैलो और शेयर इट जैसे सोशल मीडिया ऐप्स हैं। वी-चैट और वी-मैट जैसे चैट या डेटिंग ऐप्स हैं। यूसी ब्राउजर जैसे वेब ब्राउजर ऐप्स हैं। जेंडर, कैम स्कैनर, वायरस क्लीनर जैसे यूटिलिटी ऐप्स हैं। क्लैश ऑफ किंग्स जैसे गेमिंग ऐप्स, क्लब फैक्ट्री जैसे ई-कॉमर्स ऐप्स भी बैन किए गए हैं। यूटिलिटी कैटेगरी के 22 ऐप्स बैन हुए हैं।

4.क्या बैन लगाने से ऐप्स बैन हो गए?
दरअसल, सरकार के आदेश के बाद गूगल ने अपने प्ले स्टोर और एप्पल ने अपने ऐप स्टोर से 59 चाइनीज ऐप्स को हटा लिया। यानी अब वहां से आप इन्हें डाउनलोड करने से रहे। इस बार यह बैन इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर के लेवल पर भी लगा है। यानी अगर ब्रॉडबैंड इस्तेमाल कर रहे हैं, तब भी इन ऐप्स के इस्तेमाल की गुंजाइश नहीं है। अगर आप नया फोन खरीद रहे हैं, तो हो सकता है कि उनमें कुछ ऐप्स प्री-इंस्टॉल्ड आएं, लेकिन वो भी काम नहीं करेंगे। बैन हुए किसी भी ऐप पर स्टोर आपका पर्सनल डेटा जैसे टैक्स्ट, ऑडियो और वीडियो भी आप नहीं देख पाएंगे।

3. कंपनियों की बात: क्या वाकई वे यूजर्स का डेटा दूसरों से साझा कर रही हैं?
कंपनियां इससे इनकार करती हैं। इसे टिक टॉक के उदाहरण के जरिए समझ सकते हैं। सरकार के इस बैन से सबसे ज्यादा असर टिक टॉक पर पड़ने वाला है, क्योंकि उसके भारत में 60 करोड़ से ज्यादा डाउनलोड्स हैं। मंथली एक्टिव यूजर्स 12 करोड़ से ज्यादा हैं।

टिक टॉक इंडिया के सीईओ निखिल गांधी कहते हैं- हम भारतीय कानून के तहत डेटा प्राइवेसी और सुरक्षा के सभी नियमों का पालन कर रहे हैं। हमने चीन समेत किसी भी देश की सरकार से भारतीय यूजर्स की जानकारी शेयर नहीं की है। हम यूजर की प्राइवेसी की अहमियत समझते हैं..

4. क्या मामला कोर्ट में भी जा सकता है?
इन चाइनीज ऐप्स के इंडिया ऑफिसके लोग कोर्ट जा सकते हैं। जैसा कि सरकार ने कहा है कि यह कदम देश की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उठाया गया है, इसलिए उम्मीद नहीं है कि चीनी कंपनियों को राहत मिलेगी।हालांकि, डिजिटल प्राइवेसी एक्सपर्ट नमन अग्रवाल बताते हैं कि सरकार ने अभी डिटेल्ड ऑर्डर जारी नहीं किया है। सबूत भी नहीं बताए हैं। यह अभी साफ नहीं है कि प्राइवेसी और देश की सुरक्षा को लेकर दिक्कत कितनी थी और क्या थी। ऐसे में क्या पूरे ऐप्स को बैन करना सही था? क्या सरकार ने बैन लगाने से पहले सारे रास्ते देखे, खोजे और अपनाए थे?

5. तो फिर क्या सरकार को अचानक पता चला कि ये ऐप्स ठीक नहीं हैं?
इसके लिए हमें 3 साल पीछे जाना होगा। इस बार तो चीन के साथ गलवान में हमारी झड़प हुई है, लेकिन 2017 में डोकलाम हुआ था। तब भारत-चीन की सेनाएं 74 दिन तक आमने-सामने थीं। उस वक्त रक्षा मंत्रालय ने सरहद पर तैनात जवानों और अफसरों से 42 चाइनीज ऐप्स डिलीट करने को कहा था। दिलचस्प बात ये है कि सोमवार रात सरकार ने जिन 59 ऐप्स को बैन किया, उनमें से 38 ऐप्स वही हैं, जो 2017 में रक्षा मंत्रालय के राडार पर आ चुके थे। 2017 से भी पहले दिसंबर 2015 में रक्षा मंत्रालय ने चीन के हैकर्स से खतरा बताते हुए दिल्ली स्थित साउथ ब्लॉक हेडक्वार्टर में वाय फाय और ब्लू टूथ डिवाइस के इस्तेमाल पर रोक लगा दी थी।

6.भारत ने अब यह फैसला क्यों लिया,चीन के साथकूटनीति पर इसका क्या असर पड़ने वाला है?
भारत का यह फैसला चीन के साथ कूटनीतिक रिश्तों पर और तल्खी ला सकता है। चाइनीज ऐप्स पर बैन के एक दिन बाद चीन के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी किया। कहा, ‘यह चिंता की बात है और हम इस घटनाक्रम पर नजर रखे हुए हैं।’

7.क्या ये ऐप्स पहले भी बैन हुए थे?
टिकटॉक को पिछले साल मद्रास हाईकोर्ट के आदेश पर बैन किया गया था। फिर उसे सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई थी। तब सुप्रीम कोर्ट में टिक-टॉक ने कहा था कि बैन से उसे रोज 3.5 करोड़ रुपए का नुकसान हो रहा है। यानी साल में 1200 करोड़ रुपए से ज्यादा

by Member of FVO:- Manish k.r … Puneet k.r, Ratan Gaurav, Atul Mishra, Shubham bajpeyi, Ardra s kumar, Shivam choudhary

Leave a Reply

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  Change )

Twitter picture

You are commenting using your Twitter account. Log Out /  Change )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  Change )

Connecting to %s