
महाराष्ट्र के पालघड़ जिले में भीड़ ने तीन लोगों की निर्मम हत्या कर दी,इसकि जितनी निंदा की जाए कम है,जिसका डर था आखिर वहीं हुआ,कभी यही भीड़ पहलु खान, सुबोध कुमार,शीवाजी सिंधे… …लंबी लिस्ट है,ऐसे भीड़ हजारे लोगों कि जान ले चुकि है, भीड़ कभी जाति,मजहब नहीं देखती,भीड़ तो एक रोबोट के समान काम करती है उनको ऑपरेट् तो जयंत सिन्हा जैसे नेता करते हैं,भीड़ में कोई हिंदू मरे या मुस्लिम जान किसी इंसान कि ही जाती है, अगर हम उस दिन आवाज उठाऐ रहते तो आज यह देखने को नहीं मिलता…, ऐसे हिंसक तत्वो को ऐसी सजा मिले कि जो नजीर पेश हो.भीड़ बनने की प्रक्रिया एक ही है. हमेशा एक झूठ से भीड़ बनती है और उसमें आग लगती है. यह प्रक्रिया हमारे समाज का हिस्सा होती जा रही है. महाराष्ट्र में पहले भी व्हॉट्सऐप के ज़रिये बच्चा चोरी गिरोह की अफवाह फैल चुकी है. भीड़ ने कई लोगों की हत्या कर दी. अफसोस कि समाज के भीतर की अमानवीयता के कारण कल्पवृक्षगिरी जी महाराज जैसे बेकसूर लोगों की ऐसी नृशंस हत्या हुई है. मॉब लिंचिंग वाले समाज में निरीह साधु भी सुरक्षित नहीं हैं. भरोसा इतना कमज़ोर हो चुका है कि भीड़ सनक जाती है. वह नहीं देखती कि सामने कौन है. कई बार वह सामने कौन है को भी देखती है. जानती है कि वह हत्या के कर्म में शामिल है, लेकिन समाज को आसपास शामिल देख कर वह हत्या कर रही होती है. मनीष कुमार